Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Ek Parishilan
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay
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२०६ भगवती सूत्र : एक परिशीलन यावत् मिथ्यादर्शन विरति आपातभद्र नहीं लगती पर परिणाम भद्र होती है। कालोदायी ! इसी तरह कल्याण कर्म जो भी होते हैं वे कल्याण विपाक वाले होते हैं।
-भगवती ७/१0, सूत्र ५, ६, ७, ८ गर्भ प्रवेश की स्थिति
गणधर गौतम ने भगवान से पूछा-भगवन् ! जीव गर्भ में प्रवेश करते समय स-इन्द्रिय होता है या अन्-इन्द्रिय होता है ?
भगवान बोले-गौतम ! स-इन्द्रिय भी होता है और अनिन्द्रिय भी। गौतम ने पुनः प्रश्न किया-यह किस प्रकार है ?
भगवान ने उत्तर दिया-द्रव्य इन्द्रिय की अपेक्षा वह अनिन्द्रिय है और भाव इन्द्रिय की अपेक्षा से वह सइन्द्रिय है।
-भगवती १/७, सूत्र २४१, २४२ गौतम ने प्रश्न किया-भगवन् ! जीव गर्भ में प्रवेश करते समय स-शरीरी है या अ-शरीरी है? - भगवान ने कहा-गर्भ में प्रवेश करते समय जीव स्थूल शरीर अर्थात्
औदारिक, वैक्रिय और आहारक की अपेक्षा अशरीर है और सूक्ष्म शरीर तैजस और कार्मण की अपेक्षा स-शरीर है।
-भगवती १/७, सूत्र २४३ शिष्य ने प्रश्न किया-भगवन् ! गर्भ में प्रवेश पाते समय जीव का आहार प्रथम कौन सा होता है ?
गुरु ने समाधान किया-गर्भ में प्रवेश पाते समय प्रथम आहार जीव ओज और वीर्य का करता है। गर्भस्थ जीव का आहार मां के आहार का ही सार अंश होता है। वह कवल आहार लेता है और समूचे शरीर से परिणत करता है। उसके उच्छ्वास निःश्वास भी सर्वात्मना होते हैं। उसके आहार परिणमन, उच्छ्वास और निश्वास पुनः-पुनः होते हैं।
-भगवती १/७, सूत्र २४५
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