Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Ek Parishilan
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay
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भगवती सूत्र : एक परिशीलन १९१ होकर प्रकाशित होते हैं। पुद्गलों के अचित्त होने पर भी प्रयोक्ता हिंसक है और प्रयोग हिंसायुक्त है। हां, पुद्गल मात्र रत्नादिवत् अचित्त होते हैं।
भगवान से समाहित संशय वाला होकर कालोदायी ने श्रद्धावनत हो नमस्कार किया। वह निर्ग्रन्थ प्रवचन का गहन अभ्यास कर अंत समय में सिद्ध, बुद्ध और मुक्त हो गया।
-भग. शतक ७, उ. १०, सूत्र १-११
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