Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutanga Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana, Ratanmuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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प्राथमिक
२४६
। प्रस्तुत अध्ययन में स्त्री-संसर्ग से पुरुष साधक में होने वाले दोषों के समान ही पुरुष के संसर्ग से
स्त्री में होने वाले दोष भी बताये गये हैं, तथापि इसका नाम 'पुरुष-परिज्ञा' न रखकर 'स्त्रीपरिज्ञा' इसलिए रखा गया है कि अधिकतर दोष स्त्री संसर्ग से ही पैदा होते है। तथा इसके
प्रवक्ता पुरुष हैं, यह भी एक कारण हो सकता है। । तथापि नियुक्तिकार ने स्त्री शब्द के निक्षेप की तरह 'पुरुष' के भी नाम, स्थापना, द्रव्य, क्षेत्र,
काल, प्रजनन, कर्म, भोग, गुण और भाव की दृष्टि से १० निक्षेप बताये हैं, जिन्हें पुरुषपरिज्ञा
की दृष्टि से समझ लेना चाहिए । - यह अध्ययन सूत्रगाथा २४७ से प्रारम्भ होकर सूत्र गाथा २६६ पर समाप्त होता है ।।
४ (क) सूत्रकृतांग नियुक्ति गाथा ६३
(ख) सूत्रकृतांग शीलांक वृत्ति पत्रांक १०४ ५ (क) सूत्रकृतांग नियुक्ति गाथा ५७
(ख) सूत्रकृतांग शीलांक वृत्ति पत्रांक १०२ ६ सूयगडंग सुत्तं (मू० पा० टिप्पण) पृ० ४५ से ५३ तक