Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutanga Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana, Ratanmuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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प्राथमिक
मिच्छा, तहक्कार आदि) की शिक्षा लेता है, वह शिक्षाशिष्य कहलाता है। शिष्य की तरह आचार्य या गुरु भी दो प्रकार के होते हैं-दीक्षागुरु और शिक्षागुरु । अतः इस अध्ययन में मुख्यतया यह बताया गया है कि ग्रन्थ-त्यागी शिक्षा शिष्य (शैक्षिक) और शिक्षागुरु कैसे होने चाहिए? उन्हें कैसी प्रवृत्ति करनी चाहिए? उनके दायित्व और कर्तव्य क्या-क्या हैं ? इन सब
तथ्यों का २७ गाथाओं द्वारा इस अध्ययन में निरूपण किया गया है। . यह अध्ययन ५८० सूत्रगाथा से प्रारम्भ होकर सूत्र गाथा ६०६ पर समाप्त होता है।
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२ (क) सूत्रकृतांग शीलांक वृत्ति पत्रांक २४१
(ख) जैन साहित्य का वृहद इतिहास भा० १ पृ० १५४