Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Part 02 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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सूत्रांक .४१९
१५४
[१९ ]
पृष्ठ उपाश्रय-एषणा (चतुर्थ विवेक)
१२३ ४२०-४२५ उपाश्रय-एषणा (पंचम विवेक)
१२५ ४२६
शय्यैषणा-विवेक से भिक्षु-भिक्षुणी की ज्ञानादि आचार की समग्रता १३१ द्वितीय उद्देशक ४२७-४३० गृहस्थ-संसक्त उपाश्रय-निषेध
१३१ ४३१ उपाश्रय-एषणा : विधि-निषेध
१३५ ४३२-४४१ नवविध शय्या-विवेक
१३६ शय्या-विवेक से भिक्षु-भिक्षुणी के ज्ञानादि आचार की समग्रता १४६ तृतीय उद्देशक उपाश्रय-छलना-विवेक
१४६ ४४४ उपाश्रय में यतना के लिए प्रेरणा
१५० ४४५-४६ उपाश्रय-याचना विधि
१५२ ४४७-५४
निषिद्ध उपाश्रय ४५५ संस्तारक ग्रहणाग्रहण विवेक
१५८ ४५६-४५७ संस्तारक एषणा की चार प्रतिमाएँ
१५९ ४५८ संस्तारक प्रत्यर्पण विवेक
१६३ ४५९ उच्चार-प्रस्रवण भूमि-प्रतिलेखना
१६४ ४६०-४६१
शय्या-शयनादि विवेक ४६२
शय्या-समभाव . शय्यैषणा विवेक-भिक्षु-भिक्षुणी का सम्पूर्ण भिक्षुभाव
ईर्याः तृतीय अध्ययन (३ उद्देशक ) पृष्ठ १६९ से २०८ प्रथम उद्देशक ४६४-४६८
वर्षावास-विहार चर्या ४६९-४७३ विहारचर्या में दस्यु-अटवी आदि में उपद्रव
१७५ ४७४-४८२ नौकारोहणविधि
१८० ४८३
ईर्या विषयक विशुद्धि-भिक्षु-भिक्षुणी की समग्रता द्वितीय उद्देशक ४८४-४८९ नौकारोहण में उपसर्ग आने पर : जल-तरण
१८७ ४९२ ईर्यासमिति विवेक
१९० ४९३-४९७ जंघाप्रमाण जल-संतरण-विधि
१९१ ४९८-५०२ विषम-मार्गादि से गमन-निषेध ५०३
संयमपूर्वक विहारचर्या से साधुता की समग्रता तृतीय उद्देशक ५०४-५०५ मार्ग में वप्र आदि अवलोकन-निषेध
१९७ ५०६-५०९ आचार्यादि के साथ विहार में विनय-विधि
२०० ५१०-५१४ हिंसाजनक प्रश्नों में मौन एवं भाषा-विवेक ५१५-५१९ विहारचर्या में साधु को निर्भयता और अनासक्ति की प्रेरणा
२०५
१६७
४६३
१६८
१७१
१८६
१९३
१९७
२०२