Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Part 02 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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पृष्ठ
३७३
[१८ ] सूत्रांक
षष्ट उद्देशक ३५९
कुक्कुटादि प्राणी होने पर अन्य मार्ग गवेषणा ३६०
भिक्षार्थ प्रविष्ट का स्थान व अंगोपांग संचालन-विवेक
सचित्त संसृष्ट-असंसृष्ट आहार एषणा ३६१-६४
सचित्त-मिश्रित आहार-ग्रहण-निषेध ___ सप्तम उद्देशक ३६५-६६
मालाहृत दोषयुक्त आहार-ग्रहण-निषेध ३६७
उद्भिन्न दोषयुक्त आहार-निषेध ३६८
षट्काय जीव-प्रतिष्ठित आहार-ग्रहण-निषेध ३६९-३६२
पानक-एषणा अष्टम उद्देशक
अग्राह्य पानक-निषेध ३७४
आहार-गंध में अनासक्ति ३७५-८८
अपक्क-शस्त्र-अपरिणत वनस्पति, आहार-ग्रहण-निषेध ३८९
वनस्पतिकायिक आहार-गवेषणा, भिक्षु-भिक्षुणी की ज्ञान-दर्शन
चारित्र से सम्बन्धित समग्रता नवम उद्दशेक ३९०-९२
आधाकर्मिक आदि ग्रहण का निषेध ३९३-९६
ग्रासैषणा दोष-परिहार ३९७-९८ ग्रासैषणा-विवेक
दशम उद्देशक ३९९-४०१ आहार-वितरण विवेक ४०२-४०४
बह-उज्झित-धर्मी-आहार-ग्रहण-निषेध अग्राह्य लवण-परिभोग-परिष्ठापन विधि
एषणा-विवेक से भिक्षु-भिक्षुणी की सर्वांगीण समग्रता एकादश उद्देशक ४०७-४०८
मायायुक्त परिभोगैषणा विचार
सप्तपिंडैषणा-पानैषणा ४१०
भिक्षु के लिए सात पिंडैषणा और पानैषणनाओं के जानने की प्रेरणा पिंडैषणा और पानैषणा के विधिवत् पालन से ज्ञानादि
आचार की समग्रता शय्यैषणाः द्वितीय अध्ययन (३ उद्देशक ) पृष्ठ ११४ से १६८ प्रथम उद्देशक
उपाश्रय-एषणा (प्रथम विवेक) ४१३-४१४ उपाश्रय-एषणा (द्वितीय विवेक) ४१५-४१८ उपाश्रय-एषणा (तृतीय विवेक)
९८
४०५ ४०६
१०४
१०५
४०९
१०६ १०८ ११०
४११
११३
४१२
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