Book Title: Aavashyak Niryukti
Author(s): Fulchand Jain, Anekant Jain
Publisher: Jin Foundation

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Page 17
________________ (८) १३२ १०७-१०९ १३५-१३७ ११०-११३ १३८ ११३ १३९ ११३-११४ १४० ११४ १४१ ११५ १४२ . . . ११६ १४३ ११७ १४४-१४५ ११७-११८ ११२. प्रतिक्रमण और प्रत्याख्यान में अन्तर ११३. प्रत्याख्यायक का स्वरूप ११४. प्रत्याख्यान का स्वरूप और उसके दस भेदों का स्वरूप ११५. प्रत्याख्यान की विधि और इसके चार भेद ११६. विनय प्रत्याख्यान का स्वरूप ११७. अनुभाषणा-शुद्ध प्रत्याख्यान ११८. अनुपालन-शुद्ध प्रत्याख्यान ११९. परिणाम विशुद्ध प्रत्याख्यान १२०. अशन, पान आदि चार प्रकार के आहार का स्वरूप १२१. चार प्रकार के आहारों में अभेद एवं भेद १२२. प्रत्याख्यान नियुक्ति का उपसंहार एवं ६-कायोत्सर्ग नियुक्ति के कथन की प्रतिज्ञा १२३. निक्षेप विधि से कायोत्सर्ग के छह भेद १२४. कायोत्सर्ग का स्वरूप १२५. कायोत्सर्गी के लक्षण १२६. धारण योग्य कायोत्सर्ग की विशेषताएँ १२७. कायोत्सर्ग के कारण १२८. कायोत्सर्ग का कालप्रमाण १२९. दैवसिक आदि प्रतिक्रमण में कायोत्सर्ग के उच्छ्वास प्रमाण १३०. णमोकार महामंत्र के अनुसार कायोत्सर्ग की विधि १३१. चातुर्मासिक एवं सांवत्सरिक कायोत्सर्ग में उच्छ्वास प्रमाण १४६ ११८ १४७ १४८-१४८ १५० १२०-१२१ १२१ १५१ १५२-१५४ १५५ १२२ १२३-१२४ १२४ १५६ १२५ - १२६ १५७ १२६ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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