________________ 198 / आर्हती-दृष्टि और सूत्र का अनुगम किए बिना नय का प्रयोग नहीं किया जा सकता। ऐसा विशेषावश्यक भाष्य का मन्तव्य है / अनुयोगद्वार सूत्र में भी इनकी विशद चर्चा है। वर्तमान परिपेक्ष्य में भी अनुयोगद्वार नवीनकरण के साथ प्रासंगिक है। इनके माध्यम से शिक्षा क्षेत्र में एक नई सजगता आ सकती है। शिक्षा पद्धति में भी अपेक्षित परिवर्तन इनके द्वारा किया जा सकता है। अपेक्षा है इनके गहरे अध्ययन की तथा जनभोग्य बनाने की / शोध के द्वारा अनुयोगद्वार का विस्तृत उपयोग किया जा सकता है, जो आज के परिवेश में अत्यन्त लाभदायक सिद्ध हो सकता है। ''