Book Title: Aarhati Drushti
Author(s): Mangalpragyashreeji Samni
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh Prakashan

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Page 345
________________ धारावाहिक ज्ञान : प्रामाण्य एक चिंतन .. प्रत्येक भारतीय दार्शनिक ने प्रमेय की सिद्धि के लिए प्रमाण को स्वीकार किया है। चाहे वे दार्शनिक इंद्रियवादी थे, अनिन्द्रियवादी अथवा उभयवादी। किन्तु अपने मंतव्यानुसार उन्होंने प्रमाण को स्वीकृति दी। प्रमाण की स्वीकृति के बाद प्रश्न उभरा कौनसा ज्ञान प्रमाण है। प्रमाण के प्रामाण्य के बारे में विशद विवेचन किया गया। जैन दार्शनिकों के अतिरिक्त सभी भारतीय दार्शनिकों ने स्मृति को अप्रमाण स्वीकार किया। स्मृति के संदर्भ की चर्चा प्रमाण शास्त्र में शुरू से ही चली आ रही है। किंतु धारावाहिक ज्ञान प्रमाण है या अप्रमाण इस चर्चा का प्रारम्भ सम्भवतः सबसे पहले बौद्ध विद्वान् धर्मकीर्ति ने किया। वे धारावाहिक ज्ञान को प्रमाण मानने के पक्ष में नहीं थे। धारावाहिक ज्ञान का तात्पर्य है कि एक ही वस्तु का बार-बार ज्ञान होना। घट को जाना उसके बाद 'घटोऽयम्, घटोऽयम्' इस प्रकार, की आवृत्ति वाला ज्ञान धारावाहिक कहलाता है। . वाचस्पति श्रीधर, जयंत, उदयन प्रभृति संपूर्ण न्याय-वैशेषिक विद्वानों ने धारावाहिक ज्ञान को प्रमाण माना है / अतएव उन्होंने अपने प्रमाण लक्षण में अनधिगत' पद का ही प्रयोग नहीं किया। मीमांसा दर्शन की प्रभाकरीय एवं कुमारिलीय दोनों परंपराओं ने धारावाहिक ज्ञान को प्रमाण स्वीकार किया है पर उसका स्वीकरण तथा समर्थन भिन्न प्रकार से किया। प्रभाकर अनुगामी शालिकानाथ ‘कालकला का ज्ञान माने बिना अनुभति' होने मात्र से उसे प्रमाण माना हैं। उनके इस अभ्युपगम से प्रतीत होता है कि वे न्यायवैशेषिक परंपरा से प्रभावित हुए हैं / कुमारिल परंपरा ने प्रमाण लक्षण में 'अपूर्ण' शब्द का प्रयोग किया / कुमारिलानुगामी पार्थसारथी ने शास्त्रदीपिका में धारावाहिक ज्ञानों के मध्य 'सूक्ष्मकालकला' की प्रतीति मानकर उस ज्ञान के प्रामाण्य को स्वीकार किया है / ऐसी कल्पना किए बिना वे अपूर्व पद को व्याख्यायित भी नहीं कर सकते हैं / सूक्ष्मकालकला के ज्ञान से उन्होंने अपूर्व पद को भी स्पष्ट कर दिया है तथा धारावाहिक ज्ञान का प्रामाण्य भी स्वीकार कर लिया है। . दर्शन के क्षेत्र में इस नई चर्चा का सूत्रपात करने वाली बौद्ध परंपरा में भी प्रमाता भेद से धारावाहिक ज्ञान का प्रामाण्य-अप्रामाण्य स्वीकृत है। हेतु बिंदु की

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