________________ ज्ञानस्वरूप विमर्श / 237 है। उसकी उत्पत्ति अनुभव से होती है। सुकरात के अनुसार ज्ञान सार्वजनिक तथा सार्वकालिक है। यह व्यक्ति का व्यक्तिगत अनुभव नहीं अपितु सभी व्यक्तियों का सत्य ज्ञान है। सुकरात साफिस्ट लोगों के ज्ञान सिद्धान्त का निराकरण करते हैं। महात्मा सुकरात सामान्य ज्ञान को ही यथार्थ मानते हैं। वह प्रत्ययात्मक है।" ज्ञान प्रत्यय या जाति रूप होने से ज्ञान सार्वभौम और सामान्य बन जाता है। उपर्युक्त चर्चा से स्पष्ट होता है कि साफिस्ट वस्तु विशेष का ज्ञान मानते थे तथा इसके विपरीत सुकरात सामान्य को ही यथार्थ मानते हैं। जैन दर्शन इन दोनों विचारधाराओं का समन्वय करता है। वस्तु का स्वरूप उभयात्मक है और ज्ञान उभयात्मक वस्तु को ग्रहण करता है। इतना अवश्य है जैन परिभाषा में सामान्यग्राही को दर्शन एवं विशेषग्राही को ज्ञान कहा जाता है। .. प्लेटो का ज्ञान-सिद्धान्त भी महत्त्वपूर्ण है। प्लेटो के अन्य दार्शनिक विचार उनके ज्ञान-सिद्धान्त पर ही आधारित है। प्लेटो के अनुसार बौद्धिक ज्ञान ही यथार्थ है। प्लेटो-सुकरात के ज्ञान सम्बन्धी विचार की सम्पुष्टि करते हैं / ज्ञान को प्रत्ययात्मक स्वीकार करके प्लेटो स्पष्टतः ज्ञान के संवेदनात्मक स्वरूप का निराकरण करते हैं। प्रातिभासिक, व्यावहारिक, विश्लेषणात्मक एवं प्रत्ययात्मक ज्ञान को ही वास्तविक एवं सत् मानते हैं। प्लेटो सुकरात के मत को अधिक पुष्ट, परिष्कृत एवं विस्तृत करते हैं। सुकरात के अनुसार प्रत्ययं केवल मानसिक है जबकि प्लेटो प्रत्यय को वास्तविक मानते हैं। प्लेटो के अनुसार प्रत्यय केवल मानसिक विचार ही नहीं वरन् बाह्यवस्त है। 22 / सन्त ऑगस्टाइन मध्ययुग के सबसे महत्त्वपूर्ण ईसाई विचारक माने जाते हैं। उनके अनुसार यथार्थज्ञान ईश्वर विषयक होता है। परमात्मा का ज्ञान ही सर्वोत्तम ज्ञान है / अन्य सभी सांसारिक या व्यावहारिक ज्ञान है / ईश्वर से अलग किसी ज्ञान का स्वतः अस्तित्व नहीं है। सन्त ऑगस्टाइन के अनुसार ज्ञान तीन प्रकार का है-इन्द्रियज्ञान (Sense Knowledge), बौद्धिक ज्ञान (Rational Knowledge) एवं अन्तप्रज्ञा (Wisdom) / इन्द्रिय ज्ञान संवेदनात्मक होता है। यह ज्ञान इन्द्रिय तथा विषय के सम्पर्क से उत्पन्न होता है। इसको इन्होंने निम्न स्तर का माना है। बौद्धिक ज्ञान, इन्द्रिय ज्ञान एवं अन्तर्ज्ञान के मध्य की अवस्था है। यह शुद्ध बुद्धि का व्यापार है। ऑगस्टाइन के अनुसार इन्द्रियाँ भौतिक वस्तु का ज्ञान करवाती हैं एवं बुद्धि से अभौतिक वस्तु का ज्ञान प्राप्त होता है। उदाहरणार्थ सुन्दर वस्तु का