Book Title: Yogdrushti Samucchaya Author(s): Haribhadrasuri, L Suheli Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar FundPage 10
________________ ( ८ ) चरितं चि निधी सफलीकार्या कृतिस्तेषां यथावदाद्यन्तावलोकनेन तदुक्तानुशीलनेन च यथाशक्तीति सज्जनमनोऽनुसारिसरलसरण्यनुगन्तानन्दोदन्वान् । स्तम्भपार्श्वप्रभोः पादैर्भव्येच्छाकल्पशाखिभिः । समृद्धे स्तम्भतीर्थेऽयमुपोद्घात उपस्कृतः ||१|| वसुरसनन्दनिशेशप्रमिते भाद्रेऽसि त्रयोदश्याम् । आनन्देनानन्दे, यथार्थवार्त्तः समो ह्येषः ॥ २ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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