Book Title: Yogasara
Author(s): Kamleshkumar Jain
Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
View full book text
________________
सन्दर्भ-ग्रन्थ परमात्मप्रकाश योगसारश्च : योगीन्दुदेव, सम्पादक-डॉ० ए० एन० उपाध्ये
प्रकाशक-श्री परमश्रुत प्रभावक मण्डल, श्रीमद् राजचन्द्र जैन शास्त्रमाला, श्रीमद् राजचन्द्र आश्रम, अगास, तृतीय संस्करण,
सन् १६७३। प्राकृतगलम्, भाग १, सम्पादक-डॉ० भोलाशंकर व्यास, प्रकाशिका-प्राकृत
ग्रन्थ परिषद्, वाराणसी-५, सन् १६५६ । प्राकृत भाषा और साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास, लेखक-डॉ० नेमिचन्द्र
शास्त्री, प्रकाशक-तारा पब्लिकेशन्स; कमच्छा, वाराणसी, प्रथम
संस्करण; सन् १६६६ । बारह भावना : एक अनुशीलन, लेखक-डॉ० हुकमचन्द भारिल्ल, प्रकाशक
पण्डित टोडरमल स्मारक ट्रस्ट, ए-४, बापूनगर, जयपुर-३०२०१५;
प्रथमावृत्ति, सन् १६८५। बृहद्रव्यसंग्रह : आचार्य नेमिचन्द्र सिद्धान्तिदेव, ब्रह्मदेवकृत संस्कृत वृत्ति
सहित, संशोधक-पं० मनोहरलाल शास्त्री, प्रकाशक-श्री परमश्रुत प्रभावक मण्डल, श्रीमद् राजचन्द्र आश्रम, अगास (गुजरात);
चतुर्थ संस्करण; वि० सं० २०३५ । मोक्षपाहुड-अष्टपाहुड : आचार्य कुन्दकुन्द, भाषा परिवर्तनकर्ता-पं० महेन्द्र
कुमार जैन काव्यतीर्थ, प्रकाशक-श्री वीतराग सत् साहित्य प्रसारक ट्रस्ट, भावनगर (गुजरात), द्वितीयावृत्ति, वी०नि० सं०
२५०२ । योगसार : योगीन्दुदेव, सम्पादक-डॉ० आदिनाथ नेमिनाथ उपाध्ये, श्रीमद्
राजचन्द्र आश्रम, अगास, पुनर्मुद्रित, सन् १६६० । योगसार टीका, भाषाटीकाकार-स्व० ब्रह्मचारी सीतलप्रसाद, प्रकाशक-श्री
लक्ष्मीनारायण पाटोदी, गुना ( मध्यभारत )। योगसार प्राभृत : आचार्य अमितगति, सम्पादक-श्री जुगलकिशोर मुख्तार
'युगवीर', प्रकाशक-भारतीय ज्ञानपीठ, वाराणसी, प्रथम संस्करण,
सन् १६६८। वसुनन्दिश्रावकाचार : आचार्य वसुनन्दि, सम्पादक-पं० हीरालाल जैन
सिद्धान्तशास्त्री, प्रकाशक-भारतीय ज्ञानपीठ, काशी, प्रथमावृत्ति, सन् १६५२ ।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org
![](https://s3.us-east-2.wasabisys.com/jainqq-hq/90ee6473e13ae0f0fc83c80a51ad76071499f9dde1eee6e690f9a509a5b51d4e.jpg)
Page Navigation
1 ... 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108