Book Title: Yogasara
Author(s): Kamleshkumar Jain
Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan

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Page 47
________________ ६ योगसार समयसार : आचार्य कुन्दकुन्द, जयसेनाचार्यकृत तात्पर्यवृत्ति सहित, हिन्दी टीका - श्री १०८ ज्ञानसागर जी महाराज, प्रकाशक - श्री दिगम्बर जैन समाज, अजमेर, प्रथमावृत्ति । सर्वार्थसिद्धि : पूज्यपाद, सम्पादक – पं० फूलचन्द्र सिद्धान्तशास्त्री, प्रकाशकभारतीय ज्ञानपीठ, वाराणसी, द्वितीय संस्करण, सन् १६७१ । सिद्धान्तसारादिसंग्रह, सम्पादक - पं० पन्नालाल सोनी, प्रकाशिका - मा० दि० जैन ग्रन्थमाला समिति, श्री नाथूराम प्रेमी, हिन्दी ग्रन्थ रत्नाकर कार्यालय, हीराबाग, पो० गिरगांव, बम्बई, प्रथमावृत्ति, वि० सं० १६७६ । हिन्दी के विकास में अपभ्रंश का योगदान, लेखक - डॉ० नामवरसिंह, प्रकाशक - लोक भारती प्रकाशन, १२ - ए, महात्मा गाँधी मार्ग, इलाहाबाद - १, पंचम संस्करण, सन् १६७१ । हिन्दी जैन साहित्य का संक्षिप्त इतिहास, लेखक - कामताप्रसाद जैन, प्रकाशकभारतीय ज्ञानपीठ, काशी, प्रथम संस्करण, सन् १६४७ । हिन्दी जैन साहित्य परिशीलन, भाग २, लेखक - नेमिचन्द शास्त्री, प्रकाशकभारतीय ज्ञानपीठ, काशी, प्रथम संस्करण, सन् १६५६ । हिन्दी शब्दसागर, तृतीय भाग, मूल सम्पादक - श्यामसुन्दरदास बी० ए०, प्रकाशक -- काशी नागरी प्रचारिणी सभा, सन् १६६७ । हिन्दी साहित्य ( उसका उद्भव और विकास ), लेखक - डॉ० हजारी प्रसाद द्विवेदी, प्रकाशक - अत्तरचन्द कपूर एण्ड सन्ज, देहली, सन् १६५२ । हिन्दी साहित्य का बृहत् इतिहास, प्रथम भाग, हिन्दी साहित्य की पीठिका ( द्वितीय खण्ड : साहित्यिक आधार तथा परम्परा, लेखकडॉ० भोलाशंकर व्यास ), सम्पादक - राजबली पाण्डेय, प्रकाशकनागरी प्रचारिणी सभा, काशी, प्रथम संस्करण, वि० सं० २०१४। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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