Book Title: Vishwajyoti Mahavira Author(s): Amarmuni Publisher: Veerayatan View full book textPage 8
________________ कोई दिव्य आत्मा जब मानव शरीर धारण करता है तो सत्य की शाश्वतता, काल की निरन्तरता और पंचतत्वों की चिरन्तन सत्ता, उस रश्मि पुंज से मिलकर एकाकार हो जाती है। छब्बीस सौ वर्ष पूर्व इस अद्भुत सुखद सर्वमंगल की सृष्टि हुई थी जब वैशाली गणतन्त्र के अन्तर्गत क्षत्रियकुण्ड की पुण्य भूमि पर तीर्थंकर महावीर ने राजकुमार वर्द्धमान के रूप में जन्म लिया था। हम नतमस्तक हैं अपने सौभाग्य के आगे जो तीर्थंकर महावीर की छब्बीस सौंवी जन्म शताब्दी मनाने का शुभ अवसर प्राप्त हुआ है और हमारे नश्वर जीवन की पुस्तक को एक अर्थपूर्ण अध्याय मिला है। प्रस्तुत पुस्तक की तृतीय आवृत्ति का प्रकाशन जिज्ञासुओं की जिज्ञासा की पूर्ति एवं विशुद्ध जीवन की प्रेरणा की जागृति के लिए है। आचार्य चन्दना जय अचलासन, शान्ति-सिंहासन, द्वेष-विनाशन, शासन-स्पन्दन । सन्मतिकारण, कुमति - निवारण, भव - भयहारण, शीतल चन्दन ।। जय करुणा -वरुणालय जय जय, जीव सभी करते अभिनन्दन । जय सुखकन्दन, दुरित - निकन्दन, जय जग - वन्दन, त्रिशलानन्दन !! Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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