Book Title: Vastu Vigyansar
Author(s): Harilal Jain, Devendrakumar Jain
Publisher: Tirthdham Mangalayatan

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Page 22
________________ वस्तुविज्ञानसार प्रश्न - अमुक परमाणुओं में दोपहर को तीन बजे काली अवस्था होनी है - ऐसा सर्वज्ञदेव ने देखा हो और यदि उस समय हाथ बीच में न आये तो क्या उन परमाणुओं की तीन बजे होनेवाली काली दशा रुक जायेगी? उत्तर – नहीं; ऐसा होता ही नहीं। परमाणुओं में ठीक तीन बजे काली अवस्था होनी हो तो ठीक उसी समय हाथ इत्यादि निमित्त स्वयं उपस्थित रहते ही हैं। सर्वज्ञदेव ने अपने ज्ञान में यह देखा हो कि तीन बजे अमुक परमाणुओं की काली अवस्था होनी है और यदि निमित्त का अभाव होने से अथवा निमित्त के विलम्ब से आने के कारण वह अवस्था विलम्ब से हो तो सर्वज्ञ का ज्ञान गलत ठहरेगा, किन्तु यह असम्भव है। जिस समय वस्तु की जो अवस्था होनी होती है, उस समय निमित्त की उपस्थिति न हो, यह हो ही नहीं सकता। निमित्त होता तो है किन्तु पर में वह कुछ करता नहीं है। जिस प्रकार यहाँ पुद्गल की पर्याय का दृष्टान्त दिया गया है; इसी प्रकार अब जीव की पर्याय का दृष्टान्त देकर समझाते हैं। किसी जीव के केवलज्ञान प्रगट होना हो और शरीर में वज्रवृषभनाराच संहनन के न होने से केवलज्ञान रुक जाए, ऐसी मान्यता असत्य एवं पराधीनदृष्टिवालों की है। जीव, केवलज्ञान प्राप्त करने की तैयारी में हो और शरीर में वज्रवृषभनाराच संहनन न हो - ऐसा कदापि नहीं हो सकता। जहाँ उपादान स्वयं सन्नद्ध हो, वहाँ निमित्त भी होता ही है। जिस समय उपादान कार्यरूप में परिणत होता है, उसी समय दूसरी वस्तु निमित्तरूप उपस्थित रहती है - ऐसा होने पर भी निमित्त,

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