Book Title: Vastu Vigyansar
Author(s): Harilal Jain, Devendrakumar Jain
Publisher: Tirthdham Mangalayatan

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Page 119
________________ प्रकरण - 6 वस्तु के सामान्य- विशेषरूप अंशों की स्वाधीनता वस्तु सामान्य- विशेष स्वरूप है। जैसे वस्तु का सामान्य अंश स्व से है, पर नहीं है; वैसे वस्तु का विशेष अंश भी स्व से है, पर से नहीं है । आत्मा ज्ञानस्वभावी है, वह ज्ञान अभी भी इन्द्रियों के अवलम्बन से जानता है या इन्द्रियों के बिना ही ? यदि वर्तमान ज्ञान इन्द्रियों से होता है तो सामान्य ज्ञानस्वभाव के वर्तमान विशेष का अभाव होगा। यदि ज्ञान, इन्द्रियों से जानता हो तो उस समय जो सामान्य ज्ञान है उसका विशेष कार्य क्या हुआ ? आत्मा का ज्ञान, इन्द्रियों से नहीं, किन्तु सामान्य ज्ञान की विशेष अवस्था से जानता है। यदि वर्तमान में जीव विशेष ज्ञान से नहीं जानता हो और इन्द्रिय से जानता हो तो विशेष ज्ञान ने कौन सा कार्य किया ? आत्मा, इन्द्रिय से जानने का कार्य करता ही नहीं है। ज्ञान स्वयमेव विशेषरूप होकर जानने का कार्य करता है । निम्नदशा में भी जड़ - इन्द्रिय और ज्ञान एकत्रित होकर जानने का कार्य नहीं करते, परन्तु सामान्यज्ञान, जो आत्मा का त्रिकालस्वभाव है, उसी का विशेषरूप ज्ञान वर्तमान जानने का कार्य करता है। प्रश्न - यदि ज्ञान का विशेष ही जानने का कार्य करता है तो इन्द्रियों के बिना जानने का कार्य क्यों नहीं होता ?

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