Book Title: Vastu Vigyansar
Author(s): Harilal Jain, Devendrakumar Jain
Publisher: Tirthdham Mangalayatan

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Page 61
________________ . 48 . वस्तुविज्ञानसार घड़ारूप हो गई - यह बात भी नहीं है और ऐसा भी नहीं है कि घड़ा बनना था, इसलिए कुम्हार को आना पड़ा। वस्तुतः मिट्टी में उस समय की स्वतन्त्र पर्याय की योग्यता से घड़ा बना है और उस समय कुम्हार अपनी पर्याय की स्वतन्त्र योग्यता से उपस्थित था किन्तु कुम्हार ने घड़ा नहीं बनाया; कुम्हार और घड़ा दोनों के परिणमन स्वतन्त्र हैं। एक पर्याय में दो प्रकार की भिन्न-भिन्न योग्यता नहीं होती प्रश्न - जब तक कुम्हाररूप निमित्त नहीं था, तब तक मिट्टी में से घड़ा क्यों नहीं बना? उत्तर- यहाँ यह विशेष विचारणीय है कि जिस समय मिट्टी में से घड़ा नहीं बना, उस समय क्या उसमें घड़ा बनने की योग्यता थी? अथवा उसमें घड़ा बनने की योग्यता ही नहीं थी? . . यदि ऐसा माना जाए कि जब 'मिट्टी में से घड़ा नहीं बना था तब उस समय भी मिट्टी में घड़ा बनने की योग्यता थी, परन्तु निमित्त नहीं मिला, इसलिए घड़ा नहीं बना, ' तो यह मान्यता ठीक नहीं है; क्योंकि जब मिट्टी में घड़ारूप अवस्था नहीं हुई, तब उसमें पिण्डरूप अवस्था है और उस समय वह अवस्था होने की ही उसकी योग्यता है। जिस समय मिट्टी की पर्याय में पिण्डरूप अवस्था की योग्यता होती है, उसी समय उसमें घड़ारूप अवस्था की योग्यता नहीं हो सकती क्योंकि एक ही पर्याय में एक साथ भिन्न-भिन्न दो प्रकार की योग्यताएँ कदापि नहीं हो सकती। यह सिद्धान्त अत्यन्त महत्व का है; अत: इसे प्रत्येक जगह लागू करना चाहिए।

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