Book Title: Vasant Vilas Fagu
Author(s): Madhusudan Chimanlal Modi
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
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संतविलास
पद्य ३५-४२ . [१७] पथिक भयंकर केतु कि केतुकिदल सुकमाल ।
अवर ति विरहविदारण दारुण करवतधार ॥ ३५ (३६) वल्लंहसंगे सुहियाण सुहियसुहिओं स एस महुमासो।। पुणविओगविहुराण स उण मरणं विसेसेइ ॥ .३६
गाथा ॥ [१८] इस देखिउ वन संपइ कंपइ विरहिणिसाथ। ....
हरखु धरइं हंसगामिणि कामिणि छई जिल नाथ ॥ ३७ (३७). धन्यास्ताः सखि योषितः प्रियतमें सर्वाङ्गलग्नेऽपि याः .... प्रागल्भ्यं प्रथयन्ति मोहनविधौ व्यालम्व्य धैर्य महत् । अस्माकं तु तदीयपाणिकमलेनोन्मोचयत्यशुकं .. . कोऽयं का वयमत्र किं च सुरतं नैषा स्मृतिर्जायते ॥ , ३८ .
... शार्दूलविक्रीडितम् ।। [१९॥ रासु रमई मन सरलिय सरसिय निज भरतार। .
दीसहं तें गयगमणी च नभणीय कुचभर तार ॥ ३९ (५१)
वक्त्रं पूर्णशशी सुधाधरलता दन्ता मणिश्रेणयः । कान्तिः श्रीगमन गजः परिमलस्ते पारिजातद्रुमाः। ‘वाणी काम[1. B]दुघा कटाक्षलहरी सा कालकूटच्छटा . तत् किं चन्द्रमुखि तदर्थममरैरामंन्धि दुग्दोदधिः ॥ ४०
शार्दूलविक्रीडितम् ॥ [२०] सहजि सलील मदालत आलसिया तर्हि अंग। रंगि रमहिं अबला पनि लावनि संयरि सुरंग ॥ ४१. (५४)
द्रुततरमपरस्या जालमार्ग गंताया ललितललितवेणिः पीवरश्रीरुरोज। शतमखमुतं कायच्छायचौर्यापवादाद् अभजत घटसर्पो मन्मथस्यैव दिव्यम् ।। . ४२
मालिनीछन्दः॥ 36. b. न उण for स उण. 37. a. देषिउ. 37. b. हरपु. 38. a. या for याः 38. C. उन्मोचयत्यं for नोन्मोचयत्यं. 38. d: के वयमत्र for का वयमत्रं, कि वि. 40. C. कालकूटछटा. 42. a. मपरम्या जालमाग्गे. . 42. d. घटसप्पो. .

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