Book Title: Vasant Vilas Fagu
Author(s): Madhusudan Chimanlal Modi
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 47
________________ - पद्य ३१-३५ ] . वसंतविलास [१६] कामुकजन मन जीवन ती वनु नगर सुरंगु । राजु करइ अवभंगिहिं रंगिहिं राउ अनंगु ॥ विश्वत्रयं विजयते मकरध्वजोऽयमस्त्रीकृतेन मम कोमलकूजितेन । .. एनं तथापि कुसुमास्त्रमुशन्ति लोकाः पुंस्कोकिलोऽरुणितदृष्टिरिति क्रुधेव ॥ ... [१७] अलिजन वसई अनंत वसंत तिहां परधान । तरुअर वासनिकेतन केतन किशलसंतान ॥ ३३ अथ सुललितयोपिझूलताचारुशृङ्ग रतिवलयपदाङ्के चापमासज्य कण्ठे । .. सहचरमधुहस्तन्यस्तचूताकुरास्वः शतमखमुपतस्थे प्राञ्जलिः पुष्पधन्वा ।। . ३४ [२८] पनि विलसई श्रीयनंदन चंदन चंद चउ मीतु । रति अनइं प्रीति सि सोहए मोहए त्रिभुवन चीतुः॥ ३५ 31. a. क. जीवन ती वन नगर सुरंगु; ख. सुरंग; ग. कामकजनमनजीवन ती वन नगर सुरंग. घ does not possess this verse entirely. In its place it has राजु करइ नव भंगिहि रंगिहिं राउ अनंग । । मधु माधव आमायत राय तणउं प्रति अंग ।। This oG. verse is numbered St. 15 in the घ Ms. b' क. अवभंगिहि रंगिहिई; ख. अवभंगिहि रंगिहि; ग. राज करइ अधिभंगिहि रंगिहि राउ अनंग. 32. क, ख, ग have the same Sk. verse; but घ has श्लो० 15 अथ सुललितयोपिद् etc., which we have as verse 34. 33. This OG. verse is entirely absent in घMs. ख. a अनंत रे वसंतु तिहां परधान; ग. a. प्रधान. ग. b. तरूअर वास नकेतन चेतन किशलसंतान. . 34. क. d. शतमुख for शतमख. ग. has this verse very corruptly written It has been pointed out that has this verse as verse 32.. ____ 35 a. क. वनि विरचई श्री नदनु चंदन चंद नु.मीत; ख. विरचइ ग. वनि विलसइ श्राय नंदन चंदन चंद चु मीत; घ वनि विलसई .श्री नंदन चंदन चंद चु मीतु. b. क. रति भनि अनइ प्रीति स्यू सोहए त्रिभुवन चीतु. घ. चीतु in the place of चीतु. घ. 00. St. 16. . -

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