Book Title: Vasant Vilas Fagu
Author(s): Madhusudan Chimanlal Modi
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 62
________________ वसंतविलास पद्य १०७-११० [१४] सहजि सलील मदालस आलसियां तीहं अंग। रासु रमई अबला वनि लावनि सयरि सुरंग ॥ १०७ अभिमुख मयि संहृतमीक्षित हसितमन्यनिमित्तकथोदयम् । विनयवाधितवृत्तिरतस्तया न विवृतो मदनो न च संवृतः ॥ १०८ [44] कान कि झलकई वीजनउ वीज नउ चंद कि भालि। . गल्ल हसइं सकलंक मयंकह विंदु विशाल ॥ १०९ चन्द्रचन्दनमयस्तव वाले विन्दुरिन्दुरित्र राजति भाले । रागसागरविलवानहेतुजीवयन्निजमनाकुमुदानि ॥ ११० .. ___107. a. क. आलसिया; तीह; ख. आलसीयां तीहं अंग; ग. सहिनि...आलसी तेह अंग; घ, भालनि तीहं अंग. b.. क. रास; ग, रास रमइ अबला बनि ‘लावन नयर सुरंग; घ, लावनि सयर सुचंग. घ. 00. St. 52. 108. क, ख, ग contain the same stanza a. क. संहित for संहत; ख.. अभिमुखे सति संहितमीक्षित etc.; ग. अभिमुखे सति संहतिमिक्षत etc. घ contains यांती महेभवद etc. घ. Sk. St. No. 52. 109. a. के. वीजनु बीजनु चंद कि भालि ख. अहो । कान ग. कानि झलकह वीजनु बीज नु चंद किंभालि. घ has a different order of OG. verses with some changes. घ. 0G. St. 57, = printed OG. 55; घOG. St. 58 = printed St. 56. घ. 0G. St. 56 = printed OG St. 59. घ. 0G St. 54 = printed St, 63, घ. 0G St. 55 = printed OG. St. 64. Here ou. St. 57 is equivalent to our oG. St. 55; the St. is : दंत कि झलकई वीजनु बीज तुं चंद. कि भालि । गाल हसई सकलंक मयंकह विन विशाल ॥.... b. क. बिंब; ग... गाल. हा सकलंक मयंक दिय विशाल. 110. क, ख, ग have the same Sk. stanza; while घ' which has printed text oG. St. 55 = घ0G. St. 57, has this Sk.. St. No. 57. also, क. a. चन्द्रचन्दनभवस्तव भाले. क. b.. रागसागरविवर्धनहेतुः; स. a. राजितवाले. ख. b. योधयन्युवमनःकुमुदानि. ग. a, चन्द्र चन्दन...स्तव वाले बिदुरिन्दुरिव राजति भाले । ग. b. जीवयन् युवमनःकुमुदानि । घ. a. चन्द्रचन्दनभवस्तव भाले. घ. b. राजसागरतुरंगणहेतुर्बोधयमिव मनःकुमुदानि ।

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