Book Title: Vasant Vilas Fagu
Author(s): Madhusudan Chimanlal Modi
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
View full book text
________________
पद्य १५३-१५६ ] - वसंतविलास
भ्रमन् वनान्ते वनमञ्जरीषु न षट्पदो गन्धफलीमजिघ्रत् ।
सा किं न रम्या स च किं न रन्ता बलीयसी केवलमीश्वरेच्छा ॥१५३ [७८] सखि अलि चलणि न चांपइ चांपइ लिअइ न गंधु ।।
रूडइ दोहग लागइ आगइ इस्यु निबंधु ॥ १५४
चन्द्र लाञ्छनता हिमं हिमगिरौ क्षारं जलं सागरे ग्रस्ताश्चन्दनपादपा विषधरै पद्मे स्थिता कण्टिका । स्त्रीरत्नेषु जरा कुचेषु पतनं विद्वत्सु दारिद्रता
सर्व रत्नमुपद्रवेण सहितं दुर्वेधसा निर्मितम् ।। [७९] भमर भमंतउ गुणागर अगर ज कोरिउ कोइ ।
अलीयल तीणई वरांसए वांस विणासइ सोइ॥ १५६ _153. क has no Sk, verse; ख, ग both have this verse. ध. Sk. St. 77 is as under : लो० उपरि घनं घनपटलं तिथंग गिरयोऽपि नर्तितमयूराः ।
क्षितिरपि कन्दलधवला दृष्टिं पथिकः क्व पातयतु ॥७७॥ ____154. a. क. सषि अंलि चलिणि ज चापइ चापइ लिंअतु गंधु; ख, अलि चलण; ग. सखी अलि चरण न चंपइ ए चंपइ ए लिइ रसंगध; ध. सखि अलिअल वि न चांपए चांपए लिइ न गंध. b क. लागइ अगइ इसुअ निबंधु; ख. रूडर in the place of रूडइ; ग. रूडइ ए दोहग लागइ ए आगए छइ अणुबंध; घ. रूडइ सोहग लागए आगए एह निबंध. घ. 00. St. 76.
____155. There is no verse in क, while ख ग, have the same Sk. St. as in the printed text. ख. b. पद्मेषु कार्कश्यता; while ग. b. पद्म स्थिता कण्टिका । घ. Sk. St. 78. is as under: श्लो० शशिनि खलु फलई कंटफाः पद्मनाले: उदधिजलमपेयं पण्डिते निर्धनत्वम् ।
दयितजन वियोगो दुर्भगत्वं स्वरूपे धनपतिकृपणत्वं रत्नदूषी कृतान्तः ॥७॥ 156. a. क भमर भमंतउ गुण करइ अगर ज कोरीर जोइ, ख. भमरि भमं भमंतउ गुणु कर अगरु जि कोरीउ कोइ; ग, भमर भमंतु गुण करइ अगर ज कोरिउ कोइ; घ. भमर भमंत गुणागर अगर ज कोरिउ कोइ; b. क. अजीअ तीणई विरासइ वंस विणासइ सोड; ख. अजीय रे तीणि वरांसडइ वंस विणासइ सोइ, ग, अजवि तीणि वरांसडइ वंस विणास सोइ; घ. अजीभ ज तीण वरांसए वांस विणासए सोइ. घ. 00. St. 81.
[क, ख, ग do not possess any Sk. St. घ. has Sk. St. 81. as under:
७

Page Navigation
1 ... 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145