Book Title: Vasant Vilas Fagu
Author(s): Madhusudan Chimanlal Modi
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 71
________________ ४७ - पप १४५-१४८] घसंतविलास गुणाः कुर्वन्ति दूतत्वं दूरेऽपि वसतां सताम् । केतकीगन्धमाघ्राय स्वयं गच्छन्ति षट्पदाः ।। १४५ [७४] बउलसिरी मदभिभल ई भल पणि अलिराजु । संपति विणु सुकमाल ती मालती वीसरी आजु ॥. १४६ आपत्य चम्पकधिया नवकणिकारपुष्पेषु गन्धरहितेष्वपि चिश्चिरीकः । प्रीतो मधूनि रसयत्ययमन्यपुष्प. सौरभ्यसंभृतनिजाननवासितानि ।। १४७ [७] चालइ नेह पराणउ जाणउ भलउ सखि भृगु । अलग थिकउ अति नमणइ दमणइ लिइ रसु रंगु ॥ १४८ 145. After OG. Št. 72 in 4 and 57, i. e. printed text OG. St. 73, गुणा कुर्वन्ति is put; but ख .has it between OG. St. 73-74 because in a the order of OG. St. 72, 73. is according to our printed text. घ has after OG. St. 73, आपत्य चम्पकधिया etc. (= printed text 147) as घ. Sk. St. 73. _146. a, क. पउलसरी मदमीभलु तु भलु पणि अलिराजु; ख. पउलसिरी मदभीभल ई भल पणु अलिराजु; ग. वउलशिरी मदभीमली भल पणु तूं अलिराज; घ. घुलसिरी मदभीमल ई भल पण अलिराज b. क. विण for विणु; विसुरी for विसरी; ख मालति वीसरि आजि; ग. संपति विण कुसमाल ती मालती वीसरी भाज; घ, संपति विणु सुकुमाल ति मालति विसरी जाइ. घ. 0G. St. 75. .. . __147 क does not give this verse. ख, ग give this verse, while घgives भ्रमन्नितांत नवमजरीपु etc. = printed text verse. 153 ग. b. चंचिरीकः; ग. c. पीतो for प्रीतो. ग. d. सौमाग्य for सौरभ्य. . 148. a. क. चालए नेहि पुराणु न जाणु भलु सखि भंगु; ग चालई नेहपराणुं जाणु भल सखि भूगि; घ चालए नेहपराहणु जाणु भलु सखि भंग. . b. क अलग थिकउ अति निपुगइ दमणइ गंध सुरंगु; ख अलग थिउ अति नमणइ दमणइ लिइ रसु रंगु. ग. अलग थिक अति. नमणइ ए दमणइ ए लिह रसगंध; घ अलग थिकु गुण बिमणए दमणए लिइ रसरंग, घ. 00 St. 78.

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