Book Title: Vasant Vilas Fagu
Author(s): Madhusudan Chimanlal Modi
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
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मुख आगलि तूं मलिन रे मुनिजन नां मन भेदए मुरकलई मुख मचकोडह मूरख प्रेमसुहांतीय रंगभूमी सज कारीय रंगि रमई मनि हरिसीय रहि रहि तोरीय जो इलि वनि विरच्यां कदलीहर वनि विलसइ श्रीय नंदन वसंत तणा गुण गहगह्या वालए पिलसिवा विवर न
111 | विरहि करालीय बालीय ___13 | विरह सहू तिह भागलु - 140 वीणि भणउं कि भुजगमु 157 वीर सुभट कुसुमायुध
शकुन विचारि संभाविआ 101 सकल कला तु निशाकर
सखि अलि चलणि न चांपइ. 15 सखि मुझ फरकह जांघडी 35 | सहजि सलील मदालस
7 सीइथु सीदारिहिं पूरीउ 150 | हरिण हरावइ जोतीय
154
107 117 123
The Index of Sk. & Pk. Stanzas
[बृहवाचना] अथ सुललितयोषित्
34 | उन्नमय्य सकचग्रहमास्यं 141 अधरं किल विम्वनामकं 124 उपरि नाभिसरःपरिपातिता 24 अन्यासु तावदुपमर्दसहासु भृङ्गः 158 उपरि निपतितानां स्रस्तधम्मिल्लकानां 28 अद्यापि तद् विकसिताम्बुजमध्यगौरं 118
एलाधने विचकिलस्तबके प्रियाले 149 अङ्गानि निर्दहतु नाम वियोगवह्निः 74 कणे यन्न कृत सखीजनवचो 80 अभिमुखं मयि संहृतमीक्षित 108 कलशे निजहेतुदण्डनः । 130 अस्ति यद्यपि सर्वत्र - 162 कावेरीतीरभूमीरुहभुजगषध- 12 अपूर्वोऽयं धनुर्वेदो
किं वाले तव सव्रणोऽयमधरः अशोकमर्यान्वितनामताशया
किंशुकाः कुसुमिताः कलकण्ठी- 44 आगच्छन् सूचितो येन
98
कुसुमकार्मुककार्मुकसंहित- 40 आपत्य चम्पकधिया नवकर्णिकार- 147 | कैनैषा भुक्तमुक्ता
143 आयाति याति पुनरेव पुनः प्रयाति 151 केशाः केकिकलापविभ्रमभृतः । इन्दु निन्दति पद्मकन्दलदल- 82 कोटिं जीव पिबामृतं.
96 ईदृग्वसन्तविभवेन
गतिर्वेणी च नागेन
116 उत्तुङ्गपीवरकुचद्वयपीडिताङ्ग
गाढालिङ्गनवामनीकृतकुच- 100 उत्पत्तिः पयसां निधेः
गुणाः कुर्वन्ति दूतत्वं - 145 उदरं नतमध्यपृष्ठता
134 चन्द्रचन्दनमयस्तष बाले
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