Book Title: Vasant Vilas Fagu
Author(s): Madhusudan Chimanlal Modi
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

View full book text
Previous | Next

Page 53
________________ पद्य ६३-६७ ] . . . वसंतविलास . [३२] बांधइ कामु कि करकर तरकनु पाडल झूल। .. मांहि रच्या कि रि केसर ते सरनिकर अमूल ॥ ६३ - युवद्वयीचित्तनिमज्जनोचित- . प्रसनशून्येतरगर्भगवरम् । स्मरेषुधीकृत्य धिया भयान्धया स पाटलायाः स्तबकं प्रकम्पितः ॥ .. [३३] आंबुलइ मांजर लागीय जागीय मधुकरमाल । मूंकइ मारूकि विरहीय हिअइस धूमविराल ॥ ६५ रसालसालः समदृश्यतामुना गुरद्विरेफारवरोपहुंकृतिः। समीरलोलैर्मुकुलैत्रियोगिने जनाय दित्सन्निव तर्जनाभियम् ।। ६६ . [३४] केस्य कली अति बांकुडी आंकुडी मयण ची जाणि। . विरहिणी नां इणि कालिज कालिज काढए ताणि ॥ ६७ 63. a. क. कामिनी बाधई तरकस तरकप पाडलफूल; ग. वाधए कामिनी करकसु तरकस पाडलफूल; घ. बांधए कामनि करकसु. b. क. माहि रच्यां करि केसर के सरमुकुल असंख, ग, माहि घ. माहिः घ. has this oG. verse : 30. - 64. क, ख, ग have this verse in common. घ also has this verse as Sk. verse : 30. घ. d प्रकपिरे for प्रकम्पितः । 65: a. आधुले ..लागी जागीख. मांजरि; ग, आंबुले मांजरि लागीय जागीय मधुकरमाल. b. क. मूंकइ...हीइ; ख. विरहिय...वराल; ग. मूकइ मार कि विरहीय हैअडइ स धूमविराल. घ. मूकइ मार कि विरहीय हईइ.स धूमविराल. घ has this verse ou. verse: No. 31. 66. क, ख, ग have this . verse in common. घ also has this Sk. verse: No. 31. ख. .a. रसाई for रसाल. . . 67. a. के केसूम कुली...आकुडी; about three letters are rubbed out. ग. केसूआ कुलि अति वांकडी आकडी मयण ची जाणि । घ. केसूअ. b. ६. विरहणीनो ईणइ . कालि जि कालिजु; ख. काढइ; ग. विरहणीला ईगई कालिग etc घ. ईण कालि ज कालिज.. · etc. q has this Oli verse: No. 32:

Loading...

Page Navigation
1 ... 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145