Book Title: Vasant Vilas Fagu
Author(s): Madhusudan Chimanlal Modi
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
View full book text
________________
पसंतविलास
... [पद्य ७८-८२ रात्रिः कल्पशतायतेऽपि दिवसो मन्वन्तरादायते शीतांशुर्दहनायते मलयजो लेपः स्फुलिङ्कायते। .. आहारो गरलायते प्रतिपदं कामोऽपि वैरायते
प्रेयस्याः प्रियविभयोगसमये किं किं न दुःखायते ।। ७८ । [४०] उर वरि हार ते भारु मं लयरि सिंगारु अंगारू।
चीतु हरइ नवि चंदन चंद नही मनोहार ॥ ७९ कर्णे यन्न कृतं सखीजनवचो नैवाहता बन्धुवान पादान्ते निपतन्नपि प्रियतमः कर्णोत्पलेनाहतः । . . . . . . तेनेन्दुर्दहनायते मलयजो लेपः स्फुलिङ्गायते ..
रात्रिः कल्पशतायते किमपरं हारो भुजङ्गायते ॥ .... [४१] माइ मं दूख अनीठउं दीठ गमइ न चीरु।
भोजनु आजु ऊछीठ मीठ सदइन नीरु ॥ . ८१ .. 78. क, ख, ग have the same verse .in common. ग Ms. does not possess last two lines of the verse. They have been put after Sk. verse : 80, through scribe's error; व possesses the following Sk. verse : No. 39–
आयाता मधुयामिनी यदि पुन यात एव प्रियः प्राणा यान्तु यियासवो यदि पुनर्जन्ममहोऽभ्यर्थये । .. व्याधाः कोकिलबन्धने विधुपरिध्वंसेऽपि राहोर्गणाः
प्रद्युम्ने हरनेत्रदीधितिकणाः प्राणेश्वरे मन्मथाः ॥ . . . . - 79. a क. हार ते भार सूं सहरि शंगार अंगार; ख. मू; ग: उतरि पार ते हार मू सयर शृंगार अंगार; घ. हार ते भा; गार. b. क चौतु: ख चंदनु चंदु नही मनोहार; ग चींतु हरइ नवी चंदन चंद नही मनोहार; घ. चीतु; चंदु नहीं मनोहार. घOG. verse : No. 39. .
80. क, ख, घ have this — verse in common. घ has also this Sk. verse: No. 38.
81. a. क. मू; अदीठऊ in the place of अनीठउँ; दीठऊ; ग. न गमई चीर; . घ. सखि मुझ प अनीठडं दीठउं गमइ न चीर; b. क. भोजन आज अदीठ भी सदइ ने नीर; ख: ऊचीटर; ग. भोजन आज ऊवीठ मीठळं स्वदइ न नीर. The od. verse
.
in घ is No.39.
..

Page Navigation
1 ... 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145