Book Title: Vasant Vilas Fagu
Author(s): Madhusudan Chimanlal Modi
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 48
________________ २४ --- वसंतविलास . [ पच ३६-५१ उत्तुङ्गपीवरकुचद्वयपीडिताङ्गपालिङ्गितः पुलकितेन भुजेन रत्या। .. श्रीमान् जगन्ति मदयन्नयनाभिरामः कामोऽयमेति मदघूर्णितनेत्रपाः ।। ३६ [१९] गरूउ मदन महीपति दीपति सहण न जाइ। . . . ___ फरह नवी कइ जुगति रे जगति प्रतापु न माइ ॥ ३७ तव कुसुमशरत्वं शीतरश्मित्वमिन्दो यभिदमयथार्थ दृश्यतेऽस्मद्विधेषु । विसृजति हिमगमरमिमिन्दुर्मयूखै स्त्वमपि मदन वाणान् वज्रसारीकरोपि ।। ३८ [२०] कुसुम तणूं करि धणुह रे गुणह रे भमरला माल। - लख लाधवि नवि चूकइ मूकइ शर सुकुमाल ॥ ३९ ... कुसुमकार्मुककार्मुकसंहिततशिलीमुखखण्डितविग्रहाः । .. मरणमप्यपराः प्रतिपेदिरे किमु मुहुर्मुमुहुर्गतभर्तकाः ॥ ४० । [२१] मयणु जी वयण निरोपए लोपए कोइ न आण। .. मानिनीजन मन हाकए ताकए किशलकृपाण || ४१ 36. a. क्र. उत्तंग; ग, उत्तंग: घ has also this verse numbered 16. घ.d, नेत्रयुग्मः for नेनपद्मः. . 37. a. क. गिरूउ. b. क कामु करइ नवी उगति रे; though above यु is written over उ. ख. जाई for माइ; ग. करइ नवी परि जगति रे युगति प्रताप न माइ; घ. करदं नवी कई जुगति रे जगति प्रताप न माइ घ. 0G. St. 17. 38..क, ख, ग and even u have this verse. घ has this verse no. 17. घ. d. त्वमपि कुसुमवाणान् वज्रशारान् करोपि। 39. a. ख. तj...भमरुला; ग. कुसम तणु कर धणह रे गणह रे भमरला माल. b. क. चूकई मूकई मुकमाल; ख लघु for लख; probably it may be लघु; ग. लघ लाघव नवि चूकई मुंकद शर सुकमाल, घ, OG. St. 18. . 40. क, ख, ग have this verse, while घ has Sk. St 18. . भपूर्वोऽयं धनुर्वेदो मन्मथस्य महात्मनः । शरीरमक्षयं कृत्वा मिनस्यन्तर्गतं मनः ॥ (Printed. Text St. 50 ). ... 41. a. क. मयग जी; ख. मयणु जि; ग. मयण जी...आंण; घ. जी for जि. b. क. हाई ताकई किशलसंतान; ग. कामिनीजन मन हाकए. घ. 00. St. 19.

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