Book Title: Vasant Vilas Fagu
Author(s): Madhusudan Chimanlal Modi
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
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. संतषिलास
[ प १०-११ भ्रमन् बनान्ते वनमञ्जरीयु न षट्पदो गन्धफलीमजिघ्रत् । सा किं न रम्या स च किं न रन्ता
बलीयसी केवलमिश्वरेच्छा ॥ . .. १०७ . [४७] सखि अलि चरणि न चांपइ चापइ लेइ न गंध। .. __रूडइ दोहगु लागइ आगइ इसउ निबंध ॥ १.०८ (७८).
भमिऊण सग्गलोय गंधं गहिऊण पारिजायस्स । ..... ..
भमर कि न लज्जसि चुंबतो इयरवणराई ॥ . . १०९ [४८] छाजइ नेहपरायणु जाणु भलउ सखि भृगु। ।
अलग थकउ रसु विमणइ दमणइ लीइ रसु रंगु ॥११० (७५) - परिहरिय पत्तनियरं जडाण गंधं तुम समप्पंतो। . .
सहसंमूलणदुक्खं वालय बालो सि किं भणिमो ।। . . १११ [४९] वालइ विलसिवा विवरु न भमरु निहालइ मागु । -- . आवरिया जिण निय गुण नीगुण स्यउ तूय लागु ।। ११२ (७६)
नो वाह्यरागेण विनापि कार्य संसिद्धिमायाति भुजङ्गलोपम् ।
रोहीतके दाडिमके च भृङ्गा ... रूपेण रक्ता रतिमाप्नुवन्ति ॥ .. . . ११३ [५०] दमुणइं गुणमहिमा तउ रातउ रूपिहिं भंगु।
कुंदकुसुमरसु छोडइ माडइ पारधिरंगु ॥ ११४ ( )
दृष्टवकासनसंस्थिते मियतमे पश्चादुपेत्यादराद् ... ....एकस्या नयने निमील्य विहितक्रीडानुवन्धच्छलः ।
107. b. मजीघ्रत् . .108. b.. निबंध for निबंध 111. b. Ms. has सहसंमूलण : 113. a. नावाद्य
114. प. Ms. of 'Patan reads this verse between OG. v. 83-84 . . of बृहत्वाचना. .
114 a. नमुतणई for दमुणई

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