Book Title: Vardhaman Tap Mahima Yane Shrichand Kevali Charitram Part 02
Author(s): Siddharshi Gani
Publisher: Sthanakvasi Jain Karyalay
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________________ * 2010 वृद्ध स्त्री ने कहा, 'हे वत्स !' वसतपुर में वीरसेन राजा था / उसके वीरमती और वीरप्रभा दो रानियां थीं। हम दो बहनें थीं। पहली जयश्री जो प्रतापसिंह राजा की रानी है और दूसरी मैं हूँ। मेरा दुसरा नाम विजयवती है। वीरसेन राजा के सदामति मंत्रि है, वह मेरा चाचो लगता है। वीरप्रभा के नरवर्मा पुत्र हुआ। वह शस्त्र और शास्त्र में प्रवीण हुआ.। वह बहुत ही बलवान हुआ / बहुत समय पश्चात् चन्द्र के रुप को भी मात करके ऐसी चन्द्रलेखा नाम की मेरे पुत्री हुई / उसकी यह सखियें हैं / बाद में मुझे वीरवर्मा नामका पुत्र हुआ। वह पांच वर्ष का हुआ, उसके बाद राजा को बहुत भयंकर कालज्वर हो गया। वीरसेन ने वीरवर्मा को सदामति की गोद में बिठा कर कहा, मेरा राज्य इस कुमार को देना, बाद में राजा की मृत्यु हो गयी / नरवर्मा ने बल पूर्वक राज्य को अपने हाथ में ले हमें वहां से निकाल दिया / . . - हम लोग अपने पिता के नगर को जा रहे थे तो रास्ते में किसी नगर के उद्यान में ठहरे / सदामति मंत्री ने देखा कि अगर से कोई ज्योतिषी आ रहा है, उसे मान पूर्वक मेरे पास ले आया। उसकी गोदी में चन्द्रलेखा को बिठा कर मैंने सारी हकीकत कही और पूछा कि पुत्री का पति कौन होगा और कब आयेगा ? कुछ क्षण सोच कर ज्योतिषी ने कहा कि, चन्द्रलेखा का एक महान पति होगा, राजा प्रतापसिंह का पुत्र जो चन्द्रकला से ब्याहा है, वह ही तुम्हारी पुत्री का पति होगा। एक श्लोक लिख कर दिया और कहा कि, 'तुम खादिखन में जाओ, वहां रायणा वृक्ष है जिस पर दुध झराये बस उसी को Jun Gun Aaradhak Trust P.P. Ac. Gunratnasuri M.S.