Book Title: Vardhaman Tap Mahima Yane Shrichand Kevali Charitram Part 02
Author(s): Siddharshi Gani
Publisher: Sthanakvasi Jain Karyalay
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________________ * 47 110 की प्रायुप्य बांधता है। श्री गौतम स्वामी ने पूछा हे वीर ! किस प्रकार जीव शुभ और दीर्घ आयुष्य को प्राप्त होता है ? भगवान श्री वर्षमान पामी ने कहा 'हे गौतम ! जीव हिंसा न करे, मृषावाद का सेवन न करे, 27 गुणों से युक्त साधुनों को वन्दन करे और दूसरी रीति से मन को प्रिय ऐस' आहार पानी, खादिम और स्वादिम बहराये। इस प्रकार करने से सचमुच जीव शुभ दीर्घ आयुष्य को बांधता है। किये हुए कर्म का क्षय पश्चाताप से या तपश्चर्या से हो सकता है / कर्म को नाश कर देने से ही शान्ति प्राप्त होती है। _ 'तुम्हारी छात्राकार की रेखा से, तुम्हारे ललाट और लक्षणों से तुम भविष्य में महान राजा होने वाले हो ऐसा प्रतीत होता है / इसलिये तुम स्थिर रीति से सम्यक्त्व को पाराधना करो जिस तरह गिरी में मेरु, देवों में इन्द्र, ग्रहों में चन्द्र, देव में श्री जिनेश्वर देव हैं वैसे ही कर्म में मुख्य सम्यक्त्व हैं। जीव ने प्रायः अनंत मन्दिर तथा जिन प्रतिमाएं भरायीं / परन्तु ये सब भाव बिना से करवाई हुई हैं जिससे दर्शन शुद्धि (शुद्ध श्रद्धा) की एक अंश भर प्राप्ति नहीं हुई। जो भाग्यशाली सम्यक्त्व को अन्तर्मुहूर्त में भी एक बार स्पर्श करे तो यह जीव संसार में ज्यादा से ज्यादा अर्व पुद्गल परावर्त ही संसार में रहता है। जो दर्शन से भ्रष्ट है वह भ्रष्ट ही कहलाता है उसको मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती। चारित्र रहित हो तो उसे तो सिद्ध गति प्राप्त हो सकती है परन्तु दर्शन (सम्यक्त्व) बिना जीव की मुक्ति नहीं होती। 'सम्यक्त्व परम देव है, सम्यक्त्व परम गुरु है, सम्यक्त्व परम P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust