Book Title: Vardhaman Tap Mahima Yane Shrichand Kevali Charitram Part 02
Author(s): Siddharshi Gani
Publisher: Sthanakvasi Jain Karyalay
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________________ * 53 * और काम को अनुकम से स्पर्श कर वेग से अपने स्थान को चली गई। परन्तु गुणसुन्दर उसके भाव को समझा नहीं। इसका क्या मतलब होगा? ऐसा मित्र से पूछा / मित्र ने कहा कि, पद्मावती कन्या दन्त नामका नगर और कर्णदेव राजा की पुत्री तेरे पर अनुराग वाली हुई है। कुमार मित्र के साथ उस नगर में गया। माली के घर ठहर कर पूछताछ कर मालरण द्वारा गुणसुन्दर ने कहलाया कि 'सरोवर के किनारे जिन्हें देखा था वो आये हैं।' . पद्मावती ने चन्दन से गीले हाथ से गुस्से से मालण के मस्तक पर मार कर उसे निकाल दिया। मालण ने सारा वृतान्त गुणसुन्दर से कहा / राजपुत्र ने विलक्ष होकर मित्र से कहा / सुबुद्धि ने कहा कि 'शुद पंचमी को आने का कहा है इसलिये तुम अब प्रसन्न होजाओ / दोनों मित्र किराया देकर अलग जगह रह / 'हे मित्र ! शुद पंचमी तुमने किस तरह जारणी ? कुमार ने पूछा। _ मित्र ने कहा कि 'मालण के मस्तक पर लगे हुए सफेद पांच अंगुलियों से जाना।' पंचमी के दिन उन्होंने मालन को बहुत धन देकर फिर भेजा और पुछवाया कि वे किस मार्ग से आये ? पद्मावती ने कुकुम से रंगे हुए हाथ से गले से पकड़ कर कहा कि 'तू ऐसा बोलती है ? सखियों द्वारा अपमान करवा कर घर के पिछले दरवाजे से दूसरे मंज़िल से रस्सी के द्वारा नीचे उताप / मालण ने आकर कहा कि मैं जीवित प्राई ये ही मैरा भाग्य / ' ऐसा सुनकर मित्र ने कहा 'अभी ठहरो'। . . P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust