Book Title: Vardhaman Tap Mahima Yane Shrichand Kevali Charitram Part 02
Author(s): Siddharshi Gani
Publisher: Sthanakvasi Jain Karyalay
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________________ * 71 10 जायेगा / पुष्पों की तरह हम अकेले हैं और गुण बिना के हैं परन्तु पुष्प माला की तरह इकठ्ठ होकर सुगुण वाले बनकर इष्ट वस्तु को प्राप्त कर लेंगे। पद्मश्री के हृदय के भाव को जानने वाले पूर्व भव के इच्छित रूप में सूर्य समान ऐसे तेजस्वी श्रीचन्द्र को पद्मश्री ने मन में पति धारण कर लिया और मन्त्री की पुत्री कमलश्री ने अमात्य गुणचंद्र को पति धारण कर लिया। दोनों कन्यायें उत्तम वरों को बड़े प्रेम से देखने लगीं / वह दोनों कुमारिकायें अपने 2 माता पिता को बताने स्वस्थान पर गयीं। सुवर्णकुम्भ देकर छुड़ाये गये भील को भीलड़ी ने जब सारा वृतान्त सुनाया तो वह भील राजा को नमस्कार करके उन्हें अपने स्थान पर ले गया। प्रभात में पके हुए मधुर प्रानफल उन्हें भेंट किये / फलों से दोनों ने अपनी क्ष धा मिटा कर पूछा कि हेमंत ऋतु में आम्रफल कैसे ? भील ने कहा इस गिरि के पांच शिखर हैं उन सब में जो उच्च शिखर ईशान दिशा की तरफ है वहां श्रीगिरि की अधिष्ठनायिका विजयादेवी का मन्दिर है वहां पर हमेशा फल देने वाला आम का देवी वृक्ष है, उसमें से मैं प्रतिदिन अाम्नफल लाता हूँ। यह पर्वत बहुत ऊंचा और विशाल है चारों तरफ में सिर्फ एक ही मार्ग है, मेरे सिवाय ऊपय जाने में और कोई समर्थ नहीं है, वृद्धों के कहे अनुसार मैं गाऊ आदि जानता हूँ। आइये पधारिये ऊपर जाकर पर्वत की सुन्दरता को देखकर हम आनन्द मनायें। P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust