Book Title: Vardhaman Tap Mahima Yane Shrichand Kevali Charitram Part 02
Author(s): Siddharshi Gani
Publisher: Sthanakvasi Jain Karyalay
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________________ नर है और जो छोटा है वह मादा है। बुद्धिशालियों को यत्न पूर्वक नारी का रक्षण करना चाहिये / नारी जहां है वहां स्वयं नर रात्रि को आता है परन्तु दूसरों को छलने का कारण होने से इससे उत्पन्न हया धन दुष्ट कहलाता है। आगे जाकर जहां वन खतम होता था वहां श्रीगिरी को देखकर श्रीचन्द्र मोहित होगये / वहां गुफानों को देखते हुए प्यास से व्याकुल हो उठे। कुछ ही क्षणों पश्चात् किसी स्त्री के रोने की आवाज सुनाई दी उसका दुख दूर करने के लिये भयंकर पाश्रम में जाकर उससे पूछने लगे कि 'तुम क्यों रो रही हो ?' पानी कहां है क्या तुम जानती हो ? दो महापुरुषों को आया देख गुफा के अन्दर से उसने जल पूर्ण कुम्भ लाकर दिया। परन्तु वह जल उन्होंने नहीं पीया / इसलिये जहां जल था वह जगह बताई वहां जल में स्नान करके वे दोनों स्वस्थ हुए। भीलड़ी ने कहा 'ये महान् श्री पर्वत है, नजदीक़ में वीणापुर नगर में पद्मनाभ राजा है उसका एक गांव यहां भी है / उसके स्वामी का स्वर्ण कुभ चोर चुरा कर ले गये / उनके पैरों के चिन्ह यहां तक आये, परन्तु चोर तो कोई और है और वे लोग मेरे स्वामी को पकड़ कर ले गये हैं उसके पास से स्वर्ण कुम्भ मांगते हैं, उस दुख के कारण मैं रुदन करती थी। श्रीचन्द्र कहने लगे 'हे भद्रे ! तुम लोहे का कुम्भ खाली करके ले प्रायो, वह लोहे का कुम्भ ले आई, पारसमणी के योग से उस कुम्भ को अग्नि की सहायता से सुवर्ण का करके, दूसरों के दुख को P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust