Book Title: Vardhaman Tap Mahima Yane Shrichand Kevali Charitram Part 02
Author(s): Siddharshi Gani
Publisher: Sthanakvasi Jain Karyalay
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________________ *1041 है / दूसरे को दी हुई कन्या किसी दूसरे से विवाहित की जा सकती है परन्तु. विवाहित स्त्री दूसरे की पत्नी नहीं बन सकती। काष्ठ की थाली में आग एक बार ही रखी जाती है, कनक में पानी एक वार ही रोपा जाता है वैसे ही कन्या भी एक बार ही ब्याही जाती है / / ... हंसावली ने कहा कुल स्त्री का यह धर्म है और 'सत्य है' जिसे मन में धारण किया उसके सिवाय वह दूसरे को वरती नहीं / मैं मन, वचन और काया से विवाहित और फिर गीत, नृत्य नाम आदि जिसका लिया और जिसका ध्यान किया वही मेरा पति है उसके सिवाय मैं किसी ओर को कैसे सेवू? विपर्यास से ग्रहण किया हुने धन को क्या पंडित पुरुष त्याग नहीं करते ? आपकी भ्रान्ति से हस्त स्पर्श किये हुये का भी उसी प्रकार त्याग किया जा सकता है। मन से वरण किये हुये वर के सिवाय सती स्त्री दूसरे को किस तरह स्वीकार करे ? आपने जो रुठी कहीं है, उस चोथे मंगल फेरे में लोक की स्त्रियें चित्त से जिसे स्वीकार करती हैं वही पति होता है। मन में धारण किया हुप्रा और कहा हुआ कार्य ही फलदायी होता है / और भी कहा 'मन मनुष्य के बंध और मोक्ष का कारण है / जिस तरह वहन और स्त्री को प्रालिंगन किया जाता है परन्तु उसमें सिर्फ मन में फेर होता है / श्री जिनेश्वर देवों ने कहा, हे जो मन सातवीं नरक ले जा सकता है बही भन मोक्ष में भी ले जाता है। ... उस सति को श्रीचन्द्र ने कहा, है सदाचारिणी ! वस्तु का वास्तव में परिवर्तन हो सकता है, मणि सुवर्ण आदि / परन्तु विवाहित P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust