Book Title: Vardhaman Tap Mahima Yane Shrichand Kevali Charitram Part 02
Author(s): Siddharshi Gani
Publisher: Sthanakvasi Jain Karyalay

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Page 121
________________ 6 116 दीर्घदर्शी दृष्टि वाले श्रीचन्द्र ने सब को बहुत अच्छी तथा कीमती वस्तुयें भेंट की। तिलक राजा की विनन्ति से राजा पुत्र सहित महोत्सव पूर्वक तिलकपुर नगर में आये / वहां पर रत्नपुरी से पिता लक्ष्मीदत्त श्रेष्ठी को प्राते हुये सुनकर श्रीचन्द्र राजाओं, श्रेष्ठिनों अ.दि सहित सन्मुख जाकर माता-पिता को नमस्कार किया श्रेष्ठी ने भी सबको नमस्कार किया, और जाकर प्रतापसिंह राजा के पास रह / लक्ष्मीवती बहुप्रों के साथ सूर्यवती के पास रही / उस समय सब को कितनी खुशी और हर्ष हुआ होगा यह तो केवली जानें / बहुत से राजाओं में श्रीचन्द्र को कन्यायें व्याही और बहुत भेंटें दीं। सिंहपुर से सुभगांग राजा, दीप शिखा से दीपचन्द्र राजा आदि माये और पुण्यशाली और धन्य ऐसी तिलकमंजरी के साथ श्रीचन्द्र का प्रतापसिंह राजा ने विस्तार से विवाह करवाया। अद्भुत योग हुा / सबके मनोरथ फले / तिलकमंजरी की वरमाला,श्रीचन्द्र को दिन प्रतिदिन यश रुपी सुगंध फैलाती हो ऐसी अद्भुत फूलों को देने वाली बनी / वहा से वे सब रत्नपुर आये / वहां अनेक लौंग, इलायची के मंडपो और तरह 2 के वृक्षों की छाया वाले समुद्री किनारे पर श्रीचन्द्र ने प्रतापपुर नामक नया नगर बसाया। जहां माता-पिता का परस्सर मिलाप हुआ था वहां मेलकपुर नगर बसाया / प्रतापसिंह राजा के सोने और चांदी के सिक्के बनवाये / - कुछ दिनों बाद कर्कोट द्वीप से चित्र आदि 500 जहाजों में, रविप्रभ राजा का पुत्र कनकसेन, नो बहिनों सहित दश हजार हाथियों तीस हजार घोड़ों, करोड़ों सैनिकों सहित यहां किनारे पर पाकर P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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