Book Title: Vardhaman Tap Mahima Yane Shrichand Kevali Charitram Part 02
Author(s): Siddharshi Gani
Publisher: Sthanakvasi Jain Karyalay

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Page 144
________________ पन में सब कलायें प्राप्त कर लीं। एक सौ वर्ष एक छत्री राज्य का पालन कर, वैराग्य से युक्त मन वाले श्रीचन्द्र राजा ने भाई ऐकांगवीर को श्री गिरि में श्री चन्द्रपुर नगर दिया। स्वय दीक्षा की इच्छा वाले श्रीचन्द्र ने कुशस्थल में चन्द्रकला के पुत्र पूर्णचन्द्र का बड़े महोत्सव से राज्याभिषेक किया। कनकसेन को कनकपुर का राज्याभिषेक कर,नवलक्ष देश का राजा बनाया। वैताठ्य गिरि की उत्तर और दक्षिण श्रेणी का राज्य रत्नचूला के पुत्र को दिया / रत्नपुर का राज्य रत्नमाला के पुत्र को दिया / मदनचन्द्र को मलय देश का राज्य दिया। ताराचन्द्र को नंदीपुर का र ज्य दिया / इस प्रकार अपने पुत्रों को अलग 2 राज्य देकर उन पर उनकी स्थापना कर श्रीचन्द्र राजराजेन्द्र ने 6 प्रकार के परिग्रह का त्याग करके चन्द्रकला आदि रानियों, गुणचन्द्र आदि मंत्रिों सहित, पाठ हजार पुरुर्षों और चार हजार नारियों के साथ श्री धर्मघोषसूरीश्वरजी के पास दीक्षा लेकर उनके साथ पृथ्वी तल पर विचरने लगे। श्रीचन्द्र राजर्षिने द्वादशांगी श्रु त किया और अति दारुण तप करके आठ वर्ष छदमस्थपर्याय पालकर, चार घाती कर्मो का क्षय करके अति उत्तम केवलज्ञान को प्राप्त किया / देवों और राजायों ने महान महोत्सव किया देवों ने स्वर्ण कमल पर सिंहासन आदि की रचना की। श्रीचन्द्र केवली ने विचरते हुये 16 हजार साधुयों और 8 हजार साध्वीजी को कुल 24 हजार धर्म देशना की शक्ति से दीक्षायें दी। बहुतों को समकित आदि क्रियायें समझाकर श्रावक बनाये / P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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