Book Title: Vardhaman Tap Mahima Yane Shrichand Kevali Charitram Part 02
Author(s): Siddharshi Gani
Publisher: Sthanakvasi Jain Karyalay

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Page 146
________________ * 144 10 ज्ञान प्राप्त करके मोक्ष में गये / कितनों ने सर्वार्थ सिद्ध देव विमान प्राप्त किया। बाकी के सब देवलोक में गये / वे एकावतारी होकर सब सिद्धि पद को प्राप्त होंगे। इस प्रकार श्री आयंबिल वर्धमान तप की कथा श्री वीर स्वामी ने पहले श्रेणिक महाराज को सुनायी थी, उसी प्रकार हे चेटक ! तेरे बोध के लिये श्रीचन्द्र कैवली की कथा मैंने (गौतम स्वामी गणधर ने) कही है। श्रीचन्द्र केवली की कथा 800 चौवीशी तक इस तप को करते ज्ञानियों द्वारा कही जायेगी / इसे सुन चेटक महाराज तप को करने के लिये उद्यमी बनें। श्री सिद्धर्षि गणी ने 598 वर्ष पूर्व प्राकत चरित्र की रचना करके उसमें से यह रचा गया है / जिसमें विविध अर्थ की रचना की रचना की गई है, उसमें से उध्धृत करायी हुयी कथा में कुछ त्रुटि हो गई हो तो वह मिथ्या दुष्कृत हो / जहां दया रुपी इलायची, क्षमारुपी लवली वृक्ष, सत्यरुपी श्रेष्ठ लोंग, कारुण्यरुपी सुपारी है / हे भव्यजनों ! मुनिरूपी कपूर, उत्तम गुणरूपी शील, सुपात्र के समूह श्री जिनेश्वर देव द्वारा कथित गुण के करने वाले ऐसे तांबुल को ग्रहण करो। यह संघ गुण रुपी रत्नों का रोहणाचल गिरि है, सज्जनों का भूषण है, ये प्रबल प्रतापी सूर्य है, महामंगल है, इच्छित दान को देने वाला कल्पवृक्ष है, गुरूमों का भी गुरू है ऐसा श्री जिनेश्वर से पूजित श्री संघ लम्बे समय तक जय को प्राप्त हो / MAR 13. .P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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