Book Title: Vardhaman Tap Mahima Yane Shrichand Kevali Charitram Part 02
Author(s): Siddharshi Gani
Publisher: Sthanakvasi Jain Karyalay

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Page 142
________________ * 140 नवमा सामायिक व्रत प्रार्ता, रौद्र ध्यान छोड़कर मुहंत मात्र (48 मिनिट) समभाव में यथाशक्ति रहूंगा / दसवां देशावकाशिक व्रत, दिशिव्रत का परिमाण, दिन में संक्षेप और रात्रि का अभिग्रह करूंगा। चउदह नियमों में भोजन, विगई, वाहन, सचित वस्तुओं का दिशा आदि का प्रमाण, द्रव्य, बोल, आसन, विलेपन, जूतियें, स्नान, सुगन्धी, की मर्यादा ब्रह्मचर्य, 1-2 सचित्त का त्याग, विगई 2-3 सिवाय त्याग, चार पैर वाले, फल फूल आदि की यतना, शय्या पांच, प्रासन पाठ, द्रव्य दश इस प्रकार नियम लिये। ग्यारहवां पौषधोपवास व्रत चार पर्वो में पाप कर्म का व्यापार नहीं करूंगा, नहीं कराऊंगा। पौषध करुंगा। बारहवां अतिथि संविभाग व्रत उस दिन अतिथि, साधु, साध्वी जी को आहार पानी, वसति, शयन, प्रासन, वस्त्र, पात्र, दुगा, इस प्रकार पांच अणुव्रत, चार शिक्षा व्रत, पोय तीन गुणव्रत कुल बारह व्रत हुये। बाकी के शेष प्रारम्भों में त्रस स्थावर,जीवों की यतना पूर्णक रक्षा करुंगा। राजा, गुरु,गण समुदाय के बल से, देव के बल से, कार्यवश सब प्रकार के समाधि के कारण सिवाय मुझे वनमें जाने के लिये नियम है / .P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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