Book Title: Vardhaman Tap Mahima Yane Shrichand Kevali Charitram Part 02
Author(s): Siddharshi Gani
Publisher: Sthanakvasi Jain Karyalay

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Page 88
________________ + 86 * - प्रतापसिंह राजा छत्र, चामर और अवदुत सहित सुशोभित हो रहे थे / राजा सुवर्ण, रत्न आदि अवदूत को देते हैं परन्तु वह लेता नहीं है / वे कहने लगे, कार्य सिद्ध होने के बाद लूगा / रोजा ने कहा, तुमने मुझे दो बार मरने से बचाया है, इससे भी बढ़कर कोई कार्य सिद्ध होने वाला है ? इसलिये हे भद्र ! तुम प्राधा राज्य ग्रहण कर मुझे ऋण मुक्त करो। इस प्रकार राजा प्रतिदिन कहते हैं परन्तु वह लेता नहीं है / परोपकारी पुरुर्षों को संपदा हर कदम पर प्राप्त होती हैं / सातवें दिन बुद्धि सागर मंत्री कुशस्थल पहुंचा, उसने द्वारपाल द्वारा कहलाया / राजा के आदेश से मंत्री ने राजसभा में प्रवेश किया, उसे देखकर 'श्रीचन्द्र' हर्षित हुये। राजा के समीप पत्रिका रखकर मंत्री ने कहा हे देव ! वीणापुर में सूर्यवती रानी पुत्र सहित कुशल मंगल में हैं / गुणचन्द्र सहित श्रीचन्द्र राजा जय को प्राप्त हो रहे हैं / मैं कनकपुर में लक्ष्मण मंत्री को समाचार कह कर यहां प्राया हूं। मैं आपके पुत्र को मंत्री हैं, वहां उनके साथ जो घटनायें ही घटी थीं कह सुनायीं / राजा ने श्रेष्ठी पादियों का पत्र उन्हें देकर अपने पुत्र के पत्र को हषं से पढ़ने लगे / मंत्री के साथ आया हुआ हरिभाट सविशेष पद हर्ष से गाने लगा / पुत्र और प्रिया के शुभ समाचार को सुनकर हर्ष के अश्रु ओं से पूर्ण नेत्रों से नगर में विशाल महोत्सव कराया / 'श्रीचन्द्र' ने मंत्री द्वारा कहलाया था उसी अनुसार धनंजय सेनापति ने चन्द्रकला पद्मिनी को उनके पिता के घर से लेकर बुद्धिशाली राजा सहित श्रीगिरि पर जाने के लिये Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC..Gunratnasuri.M.S..

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