Book Title: Vardhaman Tap Mahima Yane Shrichand Kevali Charitram Part 02
Author(s): Siddharshi Gani
Publisher: Sthanakvasi Jain Karyalay
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________________ *ER सेवा में मोहिनी और * सेवक हमेशा तत्पर है। मैंने यह सब मोहिनी क्यों हो रहे हैं ?. प्राप.ही बताइये , राजा ने कहा है भीलों के राजा ! मेरे हृदय के जीवन समान वायुवेग. और महावेग अश्व और सुवेग रथ को मैं अभी ग्रहण करता हूं। बाको सब बाद में / सैनिकों में से कुजर नाम के क्षत्रिय को रथ. का सारधी, बताया / श्रीचन्द्र ने कहा इस जयकलश हाथो को कुशस्थल या कुडलपुर भिजवा देना, मैं अभी कनकपुर जा रहा हूँ / इस अंगूठी, से. मेरा नाम जान लो / श्रीचन्द्र राजा ने कहा, हिंसा का त्याग करना, , चार. पर्वो में आरम्भ न करना / भगवती. सूत्र में कहा है, 8.14-15. और .)) पर्व. , होते हैं / महीने में 6 पर्व होते हैं, एक पक्ष में तीन पर्व आते हैं / विष्णु पुराग में कहा है, 8-14 प्रौर 15 पर्व हैं / रवि संक्रान्ति भी पर्व है / हे राजेन्द्र ! तेल, मांस और सी का भोग जो इन . पर्वो में करता है वह नरक में जाता है, ज / विष्टा-पूत्र ही भोजन है। मनुस्मृति में कहा है, 5-14-15 अौर 0)). पर्व हैं, जो ब्रह्मचारी हो वह / स्नातक द्विजः कहलाता है, किसी भी प्रकार की हिंसा नहीं करनी पाहिये। . महाभारत में कहा है, घातक, अनुमोदना करने वाला, भक्षण, करने वाला, लेने वाला, बेचने वाला, हे युधिष्ठिर ! प्राणी के घातक . कहलाते हैं / पशु के अवयवों में जितने रोम रूपी कुए हैं, उतने हजार. वर्ष पशु घातक को राधा जाता है / विष्णु भरत शान्ति पर्व के पहले P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. : Jun Gun Aaradhak Trust