Book Title: Vardhaman Tap Mahima Yane Shrichand Kevali Charitram Part 02
Author(s): Siddharshi Gani
Publisher: Sthanakvasi Jain Karyalay
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________________ में मणी और मतियों से जड़ित पाद पीठ वाले सिंहासन को देखा। श्रीचन्द्र कौतुकवश कुछ सोचकर उस पर बैठ गये और मुंह में से अदृश्यकारिणी गोली निकाल ली। जिसके हाथ में तलवार है ऐसे श्रीचन्द्र निर्भय होकर बैठ गये नजदीक में जो थाल पड़ा था उसमें से तांबुल ग्रहण कर ज्योंही दर्पण में मुख देखने लगते हैं उतने ही में दूसरे पर्दे के पीछे 2 हे हुए सेवकों ने तत्काल प्राकर कहा 'हे वीर, आप जय को प्राप्त हों।' वाजिब नादि साज बजने लगे। गीत, नृत्य, करते हुए उन्होंने कहा कि आज सबका भाग्य फल गया है। इतने ही में नगर का राजा सेना सहित वहां पाया / श्रीचन्द्र ने उसको नमस्कार करके पूछा 'यहां क्या है ? राजा ने सिंहासन पर बैठकर श्रीचन्द्र को गोदी में बैठा कर कहा. तुम हमारे भाग्य से यहां आये हो / कर्कोट द्वीप के प्राभास नगर में मैं रविप्रभा राजा हूँ। मेरे 6 पुत्रियें हैं। कनकसेना, कनकसुन्दरी, कनकमंजरी, कनकप्रभा, कनक प्राभा, कनक माला, कनकरमा, कनकचूला और मनोरमा पुत्रियों के यौवन प्राप्त होते ही मैं चिंतातुर हुा / एक बार एक निमित्तक आया, उससे मैंने पूछा कि इन कन्यानों के पति अलग होंगे या एक ही पति होगा? कुछ विचार कर उसने कहा कि इन सबका एक ही भर्तार होगा। वह परद्वीप में होने से मेरा ज्ञान वहां तक पहुंच नहीं सकता, जिससे नाम, कुल, स्थल आदि बता सकू। परन्तु आज से दसवें दिन. मध्य रात्रि के बाद वह आयेगा / तब से सारी सामग्री तैयार करवाके रखी है, वह शुभ दिन आज ही है सब कुछ सत्य.निकला। इसलिये अब आप कन्याओं के P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust