Book Title: Vardhaman Tap Mahima Yane Shrichand Kevali Charitram Part 02
Author(s): Siddharshi Gani
Publisher: Sthanakvasi Jain Karyalay
View full book text
________________ मध्य रात्रि में उनकी चारों बहुए स्नान करके, शृगार आदि करके वड़ के वृक्ष पर बैठ कर कहीं गई। मैं डरता हुआ वहां रहा / रात्रि के अन्तिम पहर में बाहिर घूम कर बापस पाई। वहां से निकल कर मैं पंच योजन दूर यहां माया हूं। यह सुनकर श्रोगिरि के राजा श्रीचन्द्र वहां सेना को छोड़ कर अकेले आगे के लिये निकले / अदृश्य गोली के प्रभाव से संध्या समय सुघन श्रेष्ठी के घर पाराम के लिये ठहरे। मध्य रात्रि में बहुए स्नान आदि कर शृगार आदि से सुशोभित होकर घर के बाग में गई। राजा भी उनके पीछे चल पड़ा / शमी वृक्ष पर चढकर परस्पर बातें करने लगी कि कहां चले ? एक ने कहा कि मैंने कर्कोट द्वीप की बातें सुनी हैं इसलिये वहां चलें / श्रीचन्द्र राजा शमी वृक्ष के मूल को पकड कर बैठ गये / ... बहुए बोलीं, योगिनीनों में मुख्य खर्परा, जो विद्या को देने वाली है उसे हमारा नमस्कार हो। ऐसा कहने पर मन्त्र द्वारा वृक्ष आकाश में उड़ने लगा वह कुछ ही क्षणों में कर्कोट द्वीप में पहुंच गया / नगर के नजदीक किसी अच्छे स्थान पर वृक्ष को खड़ा करके, कुतूहल से नगर के अन्दर गयीं, उनके पीछे 2 राजा भी क्रीड़ा करते हुये आये वे आगे गयीं इसलिये राजा ने कुतूहल से उस नगर के मुख्य द्वार से अन्दर प्रवेश किया। विविध जाति के चंदरवों से युक्त आश्चर्यकारी विशाल मंडप में दीपकों की लाइनें थीं। वहां एक सिंहासन रखा हुआ था आगे भाग P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust