Book Title: Vardhaman Tap Mahima Yane Shrichand Kevali Charitram Part 02
Author(s): Siddharshi Gani
Publisher: Sthanakvasi Jain Karyalay
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________________ का पान, नाम मुद्रा, पुष्पों के समूह में रखना, देवी का वचन, ज्ञानी मुनि आदि के वचनों को कह सुनाया। ... . 'मैं गर्भवती होने के कारण मुझे विषम प्रकार का दोहद उत्पन्न हुअा कि 'मैं रक्त की नदी में क्रीड़ा करू" राजा ने मंत्रो की बुद्धि से लाख के रस पूर्ण बावड़ी बनवाई उसमे मैं क्रीड़ा कर रही थी, चारों तरफ सैनिकों का पहरा था बहुत समय तक पानी में कीड़ा करके मैं तीर पर आई, मेरे लाल गीले वस्त्रों के कारण मांस की भ्रांति से भारण्ड पक्षी मुझे आकाश में ले गया, भ्रमण करता हुआ भारण्ड पक्षी श्राखिरकार 'नमो अरिहंताण' ऊंची आवाज में बोलने के कारण मुझे शिला पर रखकर एकदम चला गया। गुफा में रात्रि व्यतीत कर प्रातःकाल होते ही मैं इस दिशा की ओर रवाना हुई, दुष्ट पक्षियों के भय से डरती हुई दैवयोग से यहां आ पहुँची हूं। तुझे देखकर हे पुत्र ! __ मैं हर्ष को प्राप्त हुई है और आज मेरे सारे अभिग्रह पूर्ण हुए हैं / मेरे और तेरे वियोग से तेरे पिता बहुत दुखी होंगे / __ श्रीचन्द्र माता की स्तुति करने लगे / हे माता मेरा पुण्य वृक्ष आज फला जिस कारण प्राप मिलीं, मैं धन्य और कृतकृत्य हुपा हूं, कृत पुण्य हुआ हूँ / आज तो मुझ पर बादल बिना की वृष्टि हुई है आज मुझे कैसे मां दिखाई दे गई। जिसने गर्भ को वहन किया जन्म बेला की उग्र पीड़ा को सहन की, फिर जिसके द्वारा पथ्य आहार, स्नान, स्तनपान, श्रादि प्रयत्न पूर्वक करवाया गया, विष्टा, मूत्र प्रादि मलिन कार्य कठिनता से करके पुत्र को जल्दी रक्षण करवाया उस मां की स्तुति में P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust