Book Title: Vardhaman Tap Mahima Yane Shrichand Kevali Charitram Part 02
Author(s): Siddharshi Gani
Publisher: Sthanakvasi Jain Karyalay
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________________ .55 * ये झांझर कहां से प्राई ? : गुरु ने कहा कि आज मैं श्मशान में बैठा था तो वहां एक उत्कृष्ट शक्ति आई, मैंने उसका पैर पकड़ कर जंघा पर तीन रेखा कर झांझर निकाल ली इतने में वह पलायन होगई / राजा ने कन्या को सभा में बुलाया। राजा ने गुरु से पूछा तुम कोई विद्या जानते हो ? उसने कहा हां मैं जानता हूँ। राजा कहने लगे अगर तुम मन्त्र जानते हो तो इसको शक्ति के दोष से वजित करो / गुरु ने कहा 'हे राजा ! आज रात्रि को मेरे द्वारा मंत्रित वस्त्र से कन्या का मुख और नेत्रों को बांधकर पूर्व दिशा में देश के आखिरी किनारे पर हाथ बांध कर छोड़ देना / जो छोड़ने जाय उसको पीछे नहीं देखना होगा। पाठ .. पहर के बाद ये कन्या बिना दोष की हो जायेगी। .गुरु चेले स्वस्थान पर गये / राजा ने कन्या को योगी के कहे बनुसार रास्ते में रखवा दी। वे दोनों अश्वों पर चढ़कर वहां पहुंचे बंधन खोल कर स्वदेश: ले गये / कन्या ने कहा देवरजी ! ऐसा काम : क्यों किया ? सुबुद्धि ने कहा कि ये मेरी लड्डु ओं का कार्य है मेरा नहीं। / पाठ पहर व्यतीत होने पर राजा वहां पहूँचा परन्तु पुत्री वहां मिली : नहीं जिससे राजा का हृदय फट गया / ये पापः किसे लगे ? कन्या, को * कुमार को, राजा को या मित्र को ? जानते हुए भी नहीं बोले तो वह / पाप तुम्हें लगेगा। थोड़ी देर ठहर: कर, प्रतापसिंह राजा के पुत्र ने कहा . : कि ये पाप राजा को लगे क्योंकि उसने कुमारी कन्या का इतनी बड़ी : : उमर तक ब्याह नहीं किया इसलिये ; सजा कारण भूता है / दूसरी तरह से देखें तो चारों को लगता है क्योंकि चारों उसमें कारणभूत हैं / कुमार के बोलते ही शव वापस शाखा पर चिपट गया. इस प्रकार तीन बार P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust