Book Title: Vardhaman Tap Mahima Yane Shrichand Kevali Charitram Part 02
Author(s): Siddharshi Gani
Publisher: Sthanakvasi Jain Karyalay
View full book text
________________ * 36 - राजा कहने लगे पहो ! देखो उसका परोपकारीपन, धैर्य, मति मौर बुद्धि ! यहां जाना जाता है कि कन्या कितनी भाग्यवान है। राजा ने बहुत सा धन देकर मदन पाल को मुक्त किया / राजा ने चारों तरफ खोज करवाई लेकिन श्रीचन्द्र का कहीं पता नहीं लगा। तब राजा ने कहा किसी शुभ दिन मंत्रियों को श्रीचन्द्र को बुलाने के लिये भेजेंगे। . चन्द्र के समान गोल मुख वाले श्रीचन्द्र क्षत्रिय के वेष में चलते] फिरते एक बहुत बड़े जंगल में पहुँचे / अति तृषा लगने से ऊंची जगह चढ़कर जल की खोज करने लगे, इतने में कुछ दूर सूर्य की कान्ति का भी तिरस्कार करता हो ऐसी कान्ति का एक पुज देखा। वहां पास में जाकर देखा तो वह चन्द्रहास खडग है ऐसा जानकर सोचने लगे कि यह खडग किसका होगा ? पृथ्वी पर रहे हुए पुरुष का है या किसी प्रकाश में विचरण करते हुए विद्याधर का है? परन्तु इसका स्वामी भी यहां दिखाई नहीं देता, शायद कोई यहां भूल गया होगा। इस प्रकार सोचते हुए बुद्धिशाली श्रीचन्द्र ने कल्याण के लिये उसे प्रहण किया। उस खडग की धार की परीक्षा के लिये पास ही जो माड़ी थी उस पर उन्होंने वार किया, क्षणवार में उसके दो टुकडे हो गये। और उसके मध्य में रहे हुए पुरुष के भी दो टुकड़े हो गये / ये देखकर श्रीचन्द्र बोले हा...हा...अहो मेरी अज्ञानता और मूढ़पने से मैंने बहुत बड़ा पाप किया है जिससे अब तो मुझे नरक में भी स्थान नहीं मिलेगा / मब मेरा क्या होगा। ऐसे स्वनिन्दा करते हुए वह पुरुष कुछ P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust