Book Title: Vardhaman Tap Mahima Yane Shrichand Kevali Charitram Part 02
Author(s): Siddharshi Gani
Publisher: Sthanakvasi Jain Karyalay
View full book text
________________ * 37 10 . का देखकर प्रियंगुमंजरी उसी क्षण बाहर निकली और सखी से कहने लगी कि "पति का वेश लेकर कोई और व्यक्ति अाया है" सखी ने कहा यहां ऐसा कौन है जिसने तेरे पति : का वेश धारण किया है / तू व्यामूढ हो गई है / राजकुमारी ने कहा हे सखी ! अगर तू नहीं मानती तो तू स्वयं जाकर पूछ पहले के प्रेम वा क्यों और कथा वार्तालाप अब वह किस प्रकार कर रहा है और उसे देख / सखी ने उसी तरह किया तो वह पहले की बजाय उल्टा ही बोला / उससे सखी ने कहा कि ये श्रीचन्द्र नहीं है परन्तु वेष तो उन्हीं का पहन कर कोई और ही आया है / प्रियंगुमंजरी ने कहा तू द्वारपाल से पूछ / सखी ने जब द्वारपाल से पूछा तो द्वारपाल ने कहा कि मैंने तो विसी दूसरे को पाते नहीं देखा है। बाद में सखियों को वहां छोड़कर प्रियंगुमंजरी अपनी पां के पास गई / माता ने पूछा तुम इस समय स्वयं केसे आई हो ? कुशल तो है ? दुख से भरी हुई कन्या ने जो घटना घटित हुई वे सारी कह सुनाई / रानी ने सारी बातें राजा से कही / राजा व्याकुल हो उठा ये कैसा षड़यंत्र है ? प्रातःकाल होते ही मदनपाल को बुला भेजा, सूक्ष्म दृष्टि से निरीक्षण करके और दूसरों के कहने से यह विश्वास हो गया कि ये श्रीचन्द्र नहीं है / .... राजा ने पूछा हे वत्स ! वह अंगूठी कुन्डल आदि कहां हैं ? मदनपाल ने दूसरे दिखा दिये / राजा सोचने लगा इस समय कैसी अजीब घटना घटी है / पुनः राजा ने मदनपाल से पद्मिनी आदि स्त्रियों के गुण पूछे। परन्तु मदनपाल तो जानता ही नहीं था इसलिये P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust