Book Title: Vardhaman Tap Mahima Yane Shrichand Kevali Charitram Part 02
Author(s): Siddharshi Gani
Publisher: Sthanakvasi Jain Karyalay
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________________ * 26 *. . की कान्ति नष्ट होने लगी। मित्र ने यह हकीकत राजा को बताई जिससे राजा ने नरसिंह राजा से कन्या की मांगनी की परन्तु नरसिंह राजा ने यह बात स्वीकार नहीं की। मदनपाल से पिता ने कहा घयं रखो, इस कन्या से भी अधिक रुपवाली कन्या से मैं तुम्हारी शादी करुंगा। वही मैं मदनपाल पिता से छुपकर यहां आया हूँ। मेरा मन प्रियंगुमंजरी के रुप से आकर्षित है। जिस प्रकार केतकी की सुगंध से भ्रमर आकर्षित होता है उसी प्रकार मुझे वहां शान्ति नहीं मिली इस लिए मैं यहां आया / पहले मैं राजा के बगीचे के आरामगृह में रहा था, तब मैंने मालिन से कहा था कि, हे भद्र ! राजकन्या को मेरा संदेशा कहो कि हेमपुर राजा का पुत्र तुम्हारा चित्र देखकर तुम्हारे पर मोहित हुआ है और तुम्हारे शहर में आया है। मेरा रूप, कला आदि सबका वर्णन राजकुमारी से करना और प्रत्यन्त सुख वाली राजकुमारी मुझ पर अनुराग वाली हो ऐसा प्रयत्न करना इस प्रकार समझा कर मालिन को मैंने बहुत धन देकर भेजा। प्रियंगुमंजरी ने कहा उसकी बुद्धि को परीक्षा तो करें। बाद में विचार कर कनेर के पुष्पों के ढेर में से लाल रंग का फूल लेकर कान पर रखकर मालिन को देखते हुए फेंका। बाद में कमल को लेकर वुमकुम से रंग कर, उसे बड़े प्रम से देखकर, हृदय पर धारण करके कहा कि, हे मुग्धे ! उसके पास जा भौर उससे उत्तर ला। मालिन ने सारा वृतांत मुझे सुनाया, परन्तु मैं उसका उत्तर P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust