Book Title: Vardhaman Tap Mahima Yane Shrichand Kevali Charitram Part 02
Author(s): Siddharshi Gani
Publisher: Sthanakvasi Jain Karyalay
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________________ * 25 9 तक यह मुह बन्द नहीं होता तब तक ही हम हैं। जब मृत्यु पानी है तब सुख किस बात का / चार गतियों में चौरासी लाख योनियों में घूमते 2 यहां आए हैं। जो जहां जन्म लेता है वहीं पर मन को वश में करे या करने का प्रयत्न करे तो वो मोक्ष को प्राप्त करता है / जो व्यक्ति प्रात्मा के अन्दर रहे हुए गुणों का विचार करता है वह अद्धभुत वस्तु को प्राप्त करता है वह अद्धभुत वस्तु को प्राप्त करता है / लडकपन, यौवन, बुढ़ापा आता है बाद में शरीर के अंग प्रत्यंग नाश को प्राप्त होते हैं। . स्वामी सेवक बन जाता है तो उसका स्वामित्व नष्ट हो जाता है। इस प्रकार बाह्य और अंतर की बातें करके, मैं श्री जिनेश्वर परमात्मा की कृपा से कुशल हूँ। मैं कान्तिपुर से आई हूँ और कुशस्थल को जा रही हूं। यह मेरे पास जो चित्र है उसे देखो ऐसा योगिनी ने कहा / चित्र में एक अपूर्व, अद्धभुत रुप को देखकर मदनपाल ने पूछा कि . यह किसने अद्धभुत स्त्री का चित्र चित्रण किया है ? योगिनी ने कहा कि, “कान्तिपुर के नरसिंह राजा की पुत्री प्रियंगुमंजरी राजकुमारी के चित्र का चित्रण किया गया है।" tamasomeTHIMAnus - प्रियंगुमंजरी गुणंधर पाठक के मुख से श्रीचन्द्र के रुप का वर्णन सुनकर उनपर आसक्त हो गई है। उसी का यह चित्रपट वहां देने के लिए मैं जा रही हूं। मदनपाल ने चित्र को लेने के लिए बहुत मेहनत की परन्तु उसने दिया नहीं और योगिनी जल्दी से निकल गई। * मदनपाल कामज्वर से पीड़ित हो गया और दिन-प्रतिदिन उसके शरीर P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust