Book Title: Vallabhacharya Stuti Ratnawali Prakash Sahit
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Page 52
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir LAL Recenterst व० स्तो 8 वलयानंदे अक्रमातिशयोक्तिःस्यात्सहत्वेहेतुकार्ययोरिति तयोःकार्यकारणभावाऽनूरीकारेतुतुल्ययोगितैवास्तु प्रकृतयो टीका रासनवादबलयोराक्रमणरुपैकक्रियान्वयत्वात् लक्षणंतुकाव्यप्रकाशे नियतानांसद्धर्मःसापुनस्तुल्ययोगितेति नियता // 25 // नांपाकर्णिकानामेवअप्राकरणिकानामेववा इतिव्याख्या नचतेषांकर्तृतयैवान्बयोत्रालंकारेआवश्यकइतिवाच्यं मालती | शशमल्लखा कदलीनांकठोरतेत्यादितदुदाहरणेषतथानियमादर्शनात् इंद्रवंशावृत्तं स्यादिंद्रवंशाततजैरसंयुतैरिति॥ 19 // अथास्मिन् वायुद्धे श्रीमद्भिरेवतत्वनिर्णयः प्रणेयइतिराज्ञाविज्ञापितेसति श्रीमदाचार्याः पराजितानां भक्तिमार्ग निष्ठानां ब्रह्मवादिनां मतस्य मंडनमुपत्रांतवंतइत्याहुः हरिचरणेति तत्र सभायां सः श्रीमदाचार्यः बुधेषु विद्वत्सुमध्ये विधुरिव साक्षाद्भगवानिव अथचचंद्रइजेशुशुभे विधुश्चंद्रेऽच्युतइतिहैमः किंभूतेषुबुधेषु लसद्भेषु उल्लसत्कांतिषु पक्षे लसत्सु शोजमानेषु भेषुनक्षत्रेषुमध्येइत्यर्थः स्युःप्रभारुग्रुचिस्विड्मा नक्षत्रमृक्षांतारेतिचामरः किंकुर्वन्सन् सतावेदानुयायिनांमार्गानसिद्धांतान् हरितांमार्गान्दिशांवानिचंद्रइवविकासयन् कैःकरणैःस्वविशदगवीव्यूहैः स्वाः / | स्वीयाः विशदाःअसंदिग्धाः पक्षशनाःयाःगाववाचः पक्षेकिरणाः तेषांव्यूहै समूहैः गोरतद्धितलुकीतिटच टित्वातडीप विशद:पांडुरेव्यक्तइतिहममेदिन्यौ स्वगवनेचरश्मौचबलीवर्दचगौःपुमान् स्त्रीबाणरोहिणीदृग्दिरबाभूमिष्वप्सुभूनिचे तित्रिकांडशेषः यथामुख्यादिशश्चतस्रःचत्वारश्चकोणाः तथावैष्णवसंप्रदायाअपिविष्णुस्वामिरामानुजमावनिबाकभेदेन 8 EPREPAREEREN eeeeeeeeeeeeee eeeseezesees cesses For Private and Personal Use Only

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