Book Title: Vallabhacharya Stuti Ratnawali Prakash Sahit
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Page 50
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 11 व स्तो टीका // 24 // Bee8888888888888 0000000000000000 |पन्ति रुचिरेति रुचिराःमनोज्ञाःगुणा:वैदुष्यसौशील्यादयोयस्यसतथा पक्षे रुचिराः शोजनाधारणप्रीत्युत्पादकावागुणाः ग्रथनतंतवोयस्मिँस्तत्तथा गुणोज्यासूदतंतषु रज्जोसत्वादौसंध्यादौशौर्यादौनीमइंद्रिये रूपादौचाऽप्रधानेचदोषान्यस्मि विशेषणइत्यभिधानचिंतामणिः रुचिरगुणाइत्यत्रश्लिष्टविशेषणमोदरूपकम् इहसभ्यविद्वत्संनमधर्षणादिकयनेन आचार्याणांमाहात्म्यातिशयवर्णनादुदात्तमप्यलंकारः लक्षणंत्वाहदंडी आशयस्यविभूते यन्महत्वमनुत्तमम् उदा त्तनामतंप्राहुरलंकारंमनीषिणइतिनखकात्यासर्वेषांमुकुटमणीनारक्तत्ववर्णनाततद्गुणोपि लक्षणंतुसाहित्यदर्पणे त द्गुणःस्वगुणत्यागादत्युत्कृष्टगुणग्रहइति मंदाक्रांतावृत्तम् लक्षणंतु मंदाक्रांताजलधिषडगैम्ौन्तौताद्गुरुचेत् // 18 // अथासनस्थितिकालेसाधारणसंभाषणश्रवणनपरमतस्थानांविजयाशाप्रशममाहुः आचक्रमइति धीरः गजवन्मंदगामी | सभाक्षोमादिरहितोवाअथवाधियंरातिददातीतितथास्वदर्शनमात्रेणराज्ञःसुवुध्युत्पादकइत्यर्थः सर्वत्रशास्त्रविषयेषुधि | यईस्यतिप्रेरयतीतिवा अनेनप्रकृतविषयेयोग्यतादर्शिता याचरणेनपादेनविष्टरमासनंतथावाचासामान्यतः प्रकृतानु। रूपभाषणरुपयादुर्वादिनांवादबलऊहापोहसामर्थ्यचसमंसमकालमेवआचक्रमेआक्रांतवानआसनेस्थितवान्सामर्थ्य चहतवानित्यर्थः किंभूतंविष्टरंबलंच धरेशाधिगतंधरेशात राज्ञःसकाशात अधिगतंप्राप्तं पक्षे धरेशेनराज्ञाआधिक्येनावगतं // 24 1 कचिंधारणादौमीतिरांतिददतीतिव्युत्पत्तिमनुसंधाय धारणाप्रीत्युत्पादकाइतिव्याख्यातं / / sessestattessaazetassasssssDBDBDD301 For Private and Personal Use Only

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