Book Title: Upang Prakirnak Sutra Vishaykram
Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri
Publisher: Jain Pustak Pracharak Samstha

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Page 9
________________ आणयपाणयकप्पे औ०१९ रा० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२ २७-१५८५ २७-७० २७-१३५४ २७-१३५९ २७-१३१६ २७-११३६ सूर्य०२३ जं० २५ नि० २६ प्रकी०२७ आतपतिट्ठियखेतं आभरणवत्थगंधे आमंतणि आणमणि आयरिअ उवज्झाए २७-११०१ आरंभेसु पसत्ता २७-८१३ | आरुहियचरित्तभरो २७-११३० आराहओ तहवि सो आलोइयनिस्सल्लो २७-११६३ आराहणपच्चाइअं २७-३१९ | आलोयणाइदोसे २२-२०१ आराहणलाभाओ २७-३२७ २१-३३ आराहणाइ खेमं | आलोयणाइ संलेहणाइ २२-२०५ आराहणापडागागहणे २७-३५५ | आवलिआइ विमाणाण २२-१९६ आराहणापुरस्स २७-३५१ । आवलियमुहुत्तग्गे २७-३२३ आराहणोवउत्तो ૨૨૪ २७-६१० २७-२६४ आवलियाइ विमाणा २७-१५७० आराहेऊण उकोसेण य २७-१५५४ | आसपुरा सीहपुरा २७-२५० आराहेऊण विऊ २७-२७१ | आसरिया य मणोहर० २७-१४५१ २७-१५५३ आसवदारेहि सया २७-१४४ आराहेऊण विऊ जहन्न २७-२७२ ,, संवरनिजर २७-१३२१ आराहेऊण सत्तट्ट भव० २७-१५५५ | आसीअ पोअणपुरे २७-१८३९ आरुग्गमविग्धं खेमियं २७-८५२ आसी कुलाणनयरे २७-८७ २७-५९२ | आसी गयसुकुमालो २७-१२७४ | आरुहिअमहं सुपुरिस! २७-२९३ | आसी चिलाइपुत्तो आयरिया मंगलं मझ आया पञ्चक्खाणे आया मे जं नाणे आयारवं च उवधारवं आयासकिलेसाणं आया हु महं नाणे आयके उवसग्गे २४-१२ २७-११३७ २५-६२ २७-१६८९ २७-१८५४ २७-६०९ २७-६४२ २७-६६७ २७-६७३ २७-६७२

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